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एनएच 84 पर जिच बरकरार

बक्सर : बक्सर-भोजपुर व पटना जिले से जुड़ी एनएच 84 के जीर्णोद्धार के लिए भूमि अधिग्रहण, तो किया जा चुका है, मगर राज्य सरकार और राष्ट्रीय राज मार्ग प्राधिकरण द्वारा भूमि पर कब्जा नहीं हो पाया है. क्योंकि जिन किसानों की जमीनें सड़क की चौड़ीकरण के लिए अधिग्रहित की गयी हैं. उन किसानों में से […]

बक्सर : बक्सर-भोजपुर व पटना जिले से जुड़ी एनएच 84 के जीर्णोद्धार के लिए भूमि अधिग्रहण, तो किया जा चुका है, मगर राज्य सरकार और राष्ट्रीय राज मार्ग प्राधिकरण द्वारा भूमि पर कब्जा नहीं हो पाया है. क्योंकि जिन किसानों की जमीनें सड़क की चौड़ीकरण के लिए अधिग्रहित की गयी हैं. उन किसानों में से अधिकांश किसानों ने अभी तक मुआवजे के पैसे नहीं लिये हैं.

सिर्फ बक्सर जिले में 138.524 हेक्टेयर भूमि अर्जित की गयी है, जो बक्सर, ब्रह्मपुर, डुमरांव और सिमरी प्रखंडों से जुड़े 42 गांवों की जमीन है. जिले के करीब सात हजार किसानों की जमीनें सरकार एनएच 84 के लिए लेना चाहती है. जिला भू-अर्जन विभाग ने हाल ही में 12 कैंप विभिन्न क्षेत्रों में कर चुका है, जिसमें ढाई करोड़ रुपये की राशि किसानों को दी जा चुकी है.

पहले चार कैंप देवकुली, नुआंव, पुराना भोजपुर और दल सागर में लगाये गये. जबकि शेष आठ कैंप ब्रह्मपुर, गरहथाखुर्द, चौकिया, राजगढ़, चुरामनपुर व पुराना भोजपुर में लगाये गये. अब तक लगाये गये शिविरों में 930 किसानों के बीच 26 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया जा चुका है, लेकिन शेष किसान चौगुना राशि की मांग को लेकर मुआवजा लेने से इनकार कर रहे हैं.

व्यावसायिक जमीन को खेतीहर बता रहे हैं अधिकारी : जिन किसानों की भूमि ली गयी है, उन किसानों की पीड़ा है कि सड़क के किनारे कई लोगों ने जमीनें खरीद कर व्यवसाय करने की सोच रहे हैं. जिसे सरकारी पदाधिकारी खेती की जमीन बता कर सस्ते में लेना चाहते हैं. किसानों का कहना है कि सारिमपुर से लेकर महाराजगंज तक बक्सर जिले के करीब सात हजार किसानों की जमीनें जा रही हैं. 2009 में आवासीय प्रति कट्ठा दर 40 हजार से 64 हजार और व्यावसायिक 70 हजार से सवा लाख रुपये तक का था,
जो बढ़ कर अभी दो लाख से पांच लाख रुपये प्रति कट्ठा हो गया है. ऐसे में किसान खेती के भाव से पैसा क्यों लेंगे. पूर्व के दिनों में बक्सर जिलाधिकारी रहे विनोद सिंह गुंजियाल और जिलाधिकारी अजय यादव ने किसानों की जमीनों का भौतिक सत्यापन भी किया था और अपनी अनुशंसा भी सरकार को भेजी थी, मगर उन अनुशंसाओं पर अमल नहीं किया गया और किसानों की व्यावसायिक जमीन सस्ते में लेने की कोशिश भू-अर्जन विभाग कर रहा है, जो मरते दम तक किसान नहीं दे पायेंगे.
कहते हैं जिला भू-अर्जन पदाधिकारी
जिला भू-अर्जन पदाधिकारी तौकीर अकरम और जिले के कानूनगो नारायण तिवारी कहते हैं कि 117 करोड़ रुपये भूमि अधिग्रहण का किसानों को देनी है, जिसमें बक्सर जिला भू-अर्जन को 102 करोड़ रुपये मिल चुका है. जिसमें से अब तक 26 करोड़ रुपये किसानों में बांटे जा चुके हैं.जमीन का सम परिवर्तन अथवा जमीन की प्रकृति का आरर्बिट्रैक्टर द्वारा नहीं किया जाता,
तब तक किसानों को विभागीय स्तर पर व्यावसायिक दर से भुगतान नहीं मिल सकता. इसके लिए सक्षम पदाधिकारी एडीएम के यहां दावा करने से ही मामले का हल निकल सकता है. इसके अतिरिक्त अधिग्रहण की नयी नियमावली जमीन के मूल्य के चार गुना भुगतान के लिए भी राज्य सरकार ही फैसला लेने की अधिकारी है.
क्या कहती है जिला भूमि अधिग्रहण संघर्ष समिति
एनएच 84 जिला भूमि अधिग्रहण संघर्ष समिति के उपाध्यक्ष गणेश राय कहते हैं कि किसान अपनी जमीनें सरकार को सहर्ष देना चाहते हैं, मगर जब तक बक्सर के किसानों को व्यावसायिक दर से भुगतान नहीं मिलेगा, तब तक किसान लड़ाई लड़ेंगे. उन्होंने कहा कि जिन किसानों ने सड़क के किनारे जमीन लेकर व्यवसाय करने की सोची है
अथवा जिन किसानों ने व्यावसायिक दर देकर जमीन खरीदी है, उसे खेती के दर पर कैसे सरकार को देंगे? यही विवाद है जिसका निबटारा आपसी सहमति से जब तक किसानों के साथ दर पर फैसला नहीं होगा, एनएच का निर्माण किसान होने नहीं देंगे.

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