बक्सर, कोर्ट : अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश 8 अविनाश शर्मा की अदालत ने हत्या के प्रयास एवं लूटपाट के मामले में नामजद सभी दस अभियुक्तों को 10 वर्षों के कारावास की सजा सुनायी. बुधवार को खचाखच भरे न्यायालय में न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सभी अभियुक्तों को न्यायालय हत्या के प्रयास के मामले में दोषी पाते हुए 10 वर्षों की कारावास की सजा सुनाती है.
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10 लोगों को 10 वर्षों के कारावास की सजा
बक्सर, कोर्ट : अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश 8 अविनाश शर्मा की अदालत ने हत्या के प्रयास एवं लूटपाट के मामले में नामजद सभी दस अभियुक्तों को 10 वर्षों के कारावास की सजा सुनायी. बुधवार को खचाखच भरे न्यायालय में न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सभी अभियुक्तों को न्यायालय हत्या के प्रयास के […]
फैसला सुनने के साथ ही कई अभियुक्त दहाड़ मार कर रोने लगे. बाद में उन्हें कड़ी सुरक्षा में सेंट्रल जेल भेज दिया गया. बताते चलें कि गत सोमवार को न्यायालय ने प्राथमिकी के सभी दस अभियुक्तों को दोषी पाया था तथा सजा के बिंदु पर बुधवार को फैसला सुनाने की तिथि मुकर्रर की थी. न्यायालय ने अन्य धाराओं में भी अभियुक्तों को दोषी पाया है तथा अलग-अलग सजा सुनायी है, लेकिन अधिकतम अवधि 10 वर्ष की है.
ऐसे में अभियुक्तों को अधिकतम 10 वर्ष तक ही जेल में बिताने पड़ेंगे. वहीं अभियुक्त रामाशंकर पासवान को भारतीय दंड विधान की धारा 379 के तहत भी दोषी पाया गया है. जिसमें न्यायालय ने उसे एक वर्ष की सजा सुनायी है. न्यायालय ने सभी अभियुक्तों पर एक-एक हजार का अर्थदंड भी लगाया है.
बताते चलें कि इटाढ़ी थाना के बैरी गांव के रहने वाले स्व. यशोदा तिवारी के पुत्र विपिन बिहारी तिवारी पर उसी गांव के रहने वाले रामाशंकर पासवान, हलचल पासवान, केदार पासवान, संतोष पासवान रामलाल पासवान, बदन पासवान, हरेराम पासवान, सोनू पासवान, जयराम पासवान एवं सुग्रीव पासवान ने लाठी-डंडे से जानलेवा हमला कर काफी जख्मी कर दिया था, तथा उसे बचाने के लिए आए घर के अन्य सदस्य भी हमले में काफी जख्मी हो गये थे.
सूचक ने पुलिस को बताया था कि अभियुक्त जान से मारने की नीयत से हमला किये थे तथा सोने का चेन एवं रुपए की लूटपाट भी किया था. घटना को लेकर इटाढ़ी थाना में कांड संख्या 145 सन् 2013 दर्ज कराया गया था.
पीड़ित के अत्यधिक जख्मी होने के कारण उसके फर्द बयान को पुलिस ने सदर अस्पताल में दर्ज किया था. मारपीट का कारण खलिहान को लेकर बच्चों के बीच मामूली विवाद को बताया गया था. सुनवाई में कुल आठ गवाहों की गवाही को प्रस्तुत किया गया. बहस में सरकार की ओर से अपर लोक अभियोजक त्रिलोकी मोहन एवं वरीय अधिवक्ता रामेश्वर प्रसाद वर्मा ने बहस में हिस्सा लिया.
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