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वामन द्वादशी पर महिलाओं ने सुनी भगवान वामन के जन्म की कथा

डुमरांव : बांके बिहारी मंदिर परिसर में वामन भगवान के जन्म की कथा सुनकर प्रसाद ग्रहण किया. सोमवार को महिलाओं ने निर्जला एकादशी रखी थी. मंगलवार को मंदिर में वामन भगवान के जन्म व कथा सुनने के बाद प्रसाद पंचामृत का पंडित कमलाकांत मिश्र के द्वारा वितरण किया. कथा सुनने को लेकर मंदिर परिसर में […]

डुमरांव : बांके बिहारी मंदिर परिसर में वामन भगवान के जन्म की कथा सुनकर प्रसाद ग्रहण किया. सोमवार को महिलाओं ने निर्जला एकादशी रखी थी. मंगलवार को मंदिर में वामन भगवान के जन्म व कथा सुनने के बाद प्रसाद पंचामृत का पंडित कमलाकांत मिश्र के द्वारा वितरण किया. कथा सुनने को लेकर मंदिर परिसर में महिलाओं की भीड़ लगी रही. 12 बजे जब वामन भगवान का जन्म हुआ, तो मंदिर परिसर जयघोष से गुंजायमान हो उठा.

पंडित ने वामन भगवान की जन्म कथा में बताया कि सतयुग में असुर बलि ने देवताओं को पराजित करके स्वर्गलोक पर अधिकार कर लिया था. इसके बाद सभी देवता भगवान विष्णु की मदद मांगने पहुंचे तब विष्णुजी ने देवमाता अदिति के गर्भ से वामन रूप में अवतार लिया. इसके बाद एक दिन राजा बलि यज्ञ कर रहा था, तब वामनदेव बलि के पास गये और तीन पग धरती दान में मांगी. शुक्राचार्य के मना करने के बाद भी राजा बलि ने वामनदेव को तीन पग धरती दान में देने का वचन दे दिया.
इसके बाद वामनदेव ने विशाल रूप धारण किया और एक पग में धरती और दूसरे पग में स्वर्गलोक नाप लिया. तीसरा पैर रखने के लिए कोई स्थान नहीं बचा तो बलि ने वामन को खुद सिर पर पग रखने को कहा. वामनदेव ने जैसे ही बलि के सिर पर पैर रखा, वह पाताल लोक पहुंच गया. बलि की दानवीरता से प्रसन्न होकर भगवान ने उसे पाताललोक का स्वामी बना दिया और सभी देवताओं को उनका स्वर्ग लौटा दिया.

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