पटना : बिहार के बक्सर जिले में नव पदस्थापित हुए जिलाधिकारी मुकेश पांडेय के आत्महत्या मामले में कई चौंकाने वाली बातें सामने आ रही हैं. प्रभात खबर संवाददाता मंगलेश तिवारी ने खुदकुशी से जुड़े मामलों की पड़ताल की. उन सभी बिंदुओं को टटोला और जिलाधिकारी के साथ 24 घंटे रहने वाले लोगों से बातचीत की. डीएम के रसोइये और सर्किट हाउस के केयर टेकर से लेकर उनके सुरक्षा गार्ड से बातचीत के बाद, जो बातें सामने निकलकर आयी हैं, वह काफी आश्चर्य में डालने वाली हैं.
बक्सर में जिलाधिकारी के रूप में योगदान देने के बाद मुकेश पांडेय नगर के अतिथि गृह के कमरा संख्या आठ में रहते थे. अतिथि गृह के केयर टेकर राम बाबू ने बताया कि 10 अगस्त की सुबह करीब 4 बजे डीएम साहब अपने गार्ड और ड्राइवर के साथ यहां से पटना के लिए प्रस्थान किये. बक्सर जिलाधिकारी के कमरे में बार-बार जाने वाले सन्नी कुमार ने बताया कि जब भी जरूरत होती थी, साहब बुला लेते थे. जिलाधिकारी को एयरपोर्ट तक सुबह साथ ले कर गये सुरक्षा गार्ड मानव शंकर ने बताया कि 4 बजे सुबह में बक्सर से ले कर सीधे पटना एयरपोर्ट लेकर गया. उन्होंने दो दिन बाद वापसी की बात कही थी.
मुकेश पांडेय 2012 बैच के आइएएस अधिकारी थे, जिन्हें यूपीएससी की परीक्षा में 14वां रैंक मिला था. आत्महत्या के बाद जांच कर रही पुलिस और मिले सबूत इस ओर इशारा कर रहे हैं कि जिलाधिकारी की निजी जिंदगी में तनाव काफी ज्यादा था. उनके जाननेवालों का कहना है कि हाल के दिनों में रिश्तों में बढ़ता अनावश्यक बिखराव और तनाव उनके डिप्रेशन में जाने के बहुत बड़े कारण थे. मुकेश बेहद ही मिलनसार, विनम्र और ईमानदार छवि के व्यक्तित्व थे.
मुकेश पांडेय मूल रूप से सारण जिले के दरियापुर थाना क्षेत्र के विश्वम्भरपुर पंचायत के सांझा गांव के निवासी थे. मुकेश के पिताजी सुदेश्वर पांडेय असम में कार्यरत थे, जो हाल में सेवानिवृत्ति के बाद पत्नी गीता पांडेय के साथ गांव रहने के लिए आये थे. मुकेश के एक भाई भारतीय विदेश सेवा के अंतर्गत मास्को में पोस्टेड हैं. मुकेश के जाननेवालों के मुताबिक मुकेश के जीवन में तनाव विवाह के बाद से ही आना शुरू हो गया था. सूत्रों के मुताबिक मुकेश का परिवार उनसे अलग रहता था.
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