हिलसा. बुधवार को उपकारा में बंद बंदियों के बेहतर भविष्य एवं आत्मनिर्भर बन सकेंगे जिसको लेकर हिलसा उपकारा में पीएनबी ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान नालन्दा के द्वारा बंदियों के बीच 10 दिवसीय मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. आरईसीपी अंजुला कुमारी ने बंदियों को बताया कि मशरूम कम जमीन में भी उगाया जा सकता है. इसकी खेती लाभकारी है. मशरूम का उत्पादन करने वाले कई लोगों की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार आया है. जेल से छूटने के बाद आप भी इसकी खेती कर अपने परिवार का भरण पोषण कर सकते हैं. कृषि वैज्ञानिक से आए हुए सत्येंद्र कुमार ने बंदियों को खेती के बारे में टिप्स बताया. उन्होंने कहा कि 10 दिनों तक चलने वाली इस ट्रेनिंग कार्यक्रम में इसका कारोबार व बाजार के बारे में बंदियों की ट्रेनिंग दी गई. साथ ही मशरूम को जमीन में लगाने व उसकी पैकिंग बनाने के बारे में डेमो कर बताया. उन्होंने कहा कि उनकी पूरी टीम बीच-बीच में आकर उत्पादन की प्रक्रिया का निरीक्षण कर पूरी ट्रेनिंग देगी. कार्यक्रम के दौरान जेल अधीक्षक अशोक कुमार सिंह ने बताया कि जेल में बंदियों को दस दिनों का प्रशिक्षण देना शुरू किया गया है. जिसमें 35 बंदियों ने भाग लिया है. जेल में मशरूम की खेती का प्रशिक्षण लेने के बाद वे जेल से रिहाई के बाद अपराध की दुनिया को छोड़कर आत्मनिर्भर बन सकेंगे. इस पहल का उद्देश्य बंदियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और समाज की मुख्य धारा से जोड़ना है. उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर बनने का अवसर प्रशिक्षण के बाद रिहाई के उपरांत बंदी मशरूम की खेती को व्यवसाय के रूप में अपना सकते हैं. और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकते हैं. यह प्रयास न केवल उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगा बल्कि अपराध से दूर रहकर समाज में सम्मान के साथ जीवन जीने का अवसर भी प्रदान करेगा. इस मौके पर जेल उपाधीक्षक अनिल कुमार, सहायक अधीक्षक अरुण दास सहित उपकारा के अन्य कर्मी मौजूद थे.
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