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स्थापना दिवस समारोह के लिए एनएनएमडीयू सजधज कर तैयार

नव नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय, नालंदा अपने 75वें स्थापना दिवस समारोह के लिए पूरी तरह सजधज कर तैयार है.

राजगीर. नव नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय, नालंदा अपने 75वें स्थापना दिवस समारोह के लिए पूरी तरह सजधज कर तैयार है. 20 नवंबर को आयोजित होने वाले इस भव्य समारोह को लेकर विश्वविद्यालय परिसर में उत्सवी माहौल व्याप्त है. भवनों की रंगाई–पुताई, परिसर की साफ-सफाई और पौधों की कटिंग के साथ-साथ विभिन्न भवनों को रंग-बिरंगी विद्युत लाइटों की लड़ी से सजाया गया है. मुख्य कार्यक्रम स्थल पर जर्मन हैंगर पंडाल का निर्माण अंतिम चरण में है, जहां मुख्य समारोह का आयोजन होना है. इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सह केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे. वे विश्व के पहले पालि-हिंदी शब्दकोश के अंतिम खंड का लोकार्पण करेंगे. यह पाली भाषा और भारतीय भाषाई-सांस्कृतिक विरासत के अध्ययन को नये आयाम प्रदान करेगा. इसके अलावा वे थिच मिन्ह चाऊ ऑडिटोरियम, विश्वविद्यालय के नये परिसर में निर्मित तीन मंजिला संकाय भवन तथा 200 बिस्तरों वाले छात्रावास का शिलान्यास भी करेंगे. स्थापना दिवस के अवसर पर कुलाधिपति द्वारा झुआन जांग स्मारक हॉल (ह्वेनसांग मेमोरियल हॉल) परिसर में बने टिकट काउंटर सह पर्यटक प्रतीक्षालय का उद्घाटन भी किया जायेगा. यह सुविधा बढ़ते पर्यटक आवागमन को देखते हुए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी. कुलपति प्रो सिद्धार्थ सिंह ने बताया कि समारोह की तैयारी लगभग पूर्ण हो चुकी है. बचे हुये कार्यों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. कार्यक्रम में कुल दो हजार लोगों की उपस्थिति संभावित है. विशेष रूप से वियतनाम से करीब सवा सौ प्रतिनिधि भाग लेंगे, जिनमें वियतनाम बौद्ध संघ के उपाध्यक्ष और वियतनाम बौद्ध अध्ययन संस्थान के अध्यक्ष परम पावन थिक गियाक त्वन तथा वियतनाम बौद्ध विश्वविद्यालय के स्थायी उप-रेक्टर डॉ थिक न्हात तू प्रमुख हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित इन प्रतिनिधियों की उपस्थिति कार्यक्रम को और अधिक सार्थक एवं गौरवशाली बनायेगी. कुलपति ने बताया कि नव नालंदा महाविहार की स्थापना 20 नवंबर 1951 को देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गयी थी. अपनी स्थापना के समय से ही यह संस्थान पाली अध्ययन और बौद्ध धर्म के शोध में एशिया का पहला प्रमुख केंद्र रहा है. यहां का समृद्ध पुस्तकालय दुर्लभ पांडुलिपियों और विभिन्न भाषाओं की महत्वपूर्ण पुस्तकों के संग्रह के लिए विख्यात है. उन्होंने बताया कि विश्व मंच पर नव नालंदा महाविहार की अपनी विशिष्ट पहचान है. यह पूर्ण विश्वविद्यालय के सभी शैक्षणिक एवं अनुसंधान संबंधी अर्हताओं को पूरा करता है. 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा का यह उत्सव संस्थान की शैक्षणिक परंपरा, सांस्कृतिक धरोहर और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा का प्रतीक है. कार्यक्रम के दौरान पालि-हिंदी शब्दकोश लेखन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नव नालंदा महाविहार के पूर्व निदेशक डॉ उमाशंकर व्यास, भिक्षु प्रज्ञापाल, डॉ विश्वजीत प्रसाद और शैलेंद्र वर्मा को सम्मानित किया जायेगा. इस अवसर पर इस विश्वविद्यालय के मेधावी छात्र-छात्राओं को मेरिट प्रमाणपत्र प्रदान किया जायेगा. इसके अलावे खेल, वाद-विवाद, भाषण प्रतियोगिता आदि गतिविधियों के विजेताओं को पदक एवं प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया जायेगा. अनहद नाद के कलाकारों की होगी सांस्कृतिक प्रस्तुति : स्थापना दिवस की शाम मुख्य पंडाल में ही नालंदा महोत्सव का आयोजन किया जायेगा. इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में वाराणसी के अनहद नाद नामक संस्था द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया जायेगा. इसमें कबीर गायन के विख्यात कलाकार डाॅ गजेंद्र पाण्डेय एवं उनके दल द्वारा कार्यक्रम प्रस्तुत किया जायेगा. इस अवसर पर महाविहार के छात्र-छात्राओं द्वारा भी सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया जायेगा.

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