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जैन धर्म के 24 में से 22 तीर्थकरों की निर्वाण भूमि बिहार-झारखंड

पर्यटक शहर राजगीर के श्री जैन श्वेतांबर कोठी परिसर के नौलखा मंदिर में आयोजित 20वें तीर्थंकर भगवान श्री मुनि सुब्रत स्वामी के केवलज्ञान कल्याणक महोत्सव के दूसरे दिन गाजे बाजे के साथ भगवान की नगर शोभायात्रा निकाली गयी.

राजगीर.

पर्यटक शहर राजगीर के श्री जैन श्वेतांबर कोठी परिसर के नौलखा मंदिर में आयोजित 20वें तीर्थंकर भगवान श्री मुनि सुब्रत स्वामी के केवलज्ञान कल्याणक महोत्सव के दूसरे दिन गाजे बाजे के साथ भगवान की नगर शोभायात्रा निकाली गयी. शोभायात्रा के दौरान श्रद्धालुओं द्वारा रुपये और वस्त्र लूटाये गये. नोट और वस्त्र लूटने वालों की संख्या भी अच्छी खासी रही. शोभायात्रा नौलाख मंदिर परिसर से निकलकर नगर भ्रमण करने के बाद पुनः मंदिर परिसर में वापस आ गयी. इस शोभायात्रा में विभिन्न प्रदेशों के जैन धर्मावलंबियों के अलावे स्थानीय लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए. शोभायात्रा में भक्ति भावना के साथ नाचते गाते नगर भ्रमण किये. इस अवसर पर नौलाख मंदिर में भक्ति भावना के साथ मधुबन पूजा का भव्य आयोजन किया गया. शाम में मुंबई के गायक कलाकारों द्वारा धार्मिक भजनों की मनमोहक प्रस्तुति की गयी, जिसका रसास्वादन श्रद्धालुओं ने किया. महोत्सव के मौके पर अशोक भाई मेहता गुरुजी को भी नमन किया गया. इस अवसर पर मुनिदादा कल्याणक मंडल, मुंबई के समीर भाई महेता ने कहा कि भगवान श्री मुनिसुब्रत स्वामी का जन्म राजगीर के राजा सुमित्र की धर्मपत्नी रानी पद्यमावती की रत्न कुक्षी से हुआ था. भगवान का शरीर श्यामवर्ण का था. उनका लांक्षण कछुआ है. भगवान के 18 गणधर थे. उनमें इंद्र स्वामी प्रथम थे. उन्होनें कहा कि ऐसे धार्मिक आयोजनों से कण कण पवित्र होकर पूरा परिसर भक्तिमय हो जाता है. मुंबई के ही कोमल भाई मेहता ने कहा कि सौभाग्य है कि जैन धर्म के 24 तीर्थकरों में 22 तीर्थकरों की निर्वाण भूमि बिहार एवं झारखंड है. हम भाग्यशाली हैं कि हमें हर साल इस कल्याणक भूमियों की स्पर्शना करने का सौभाग्य प्राप्त होता है. ट्रस्टी राजकुमार जैन ने कहा कि तीर्थकरों के जीवन चरित्र का हम सब को अनुशरण करना चाहिए. इसी से समस्त मानव जाति का कल्याण होगा. जियो और जीने दो के सिद्धान्त को अपनाकर विश्व में हो रहे अशांति और युद्ध से मुक्ति मिल सकती है. तीर्थंकरों के बताये मार्ग पर चलकर ही समाज में भाईचारा का माहौल बनाया जा सकता है. ट्रस्टी कवीन्द्र कुमार कोठारी ने कहा कि तीर्थंकरों ने भी अपने पूर्व भवों में काफी असहयों का सामना किया है. अपने तप से उसपर विजय पाकर वे सभी तीर्थकर बने हैं. जैन धर्म सबों को आपस में मिलजुल कर रहना सिखाता है. यह धर्म सभी जीवों की रक्षा करने का संदेश देता है. ट्रस्टी रणवीर कुमार जैन ने कहा कि ऐसे आयोजनों से राजगीर में भक्ति की धारा बहने लगती है. संस्था के सहायक प्रबंधक ज्ञानेंद्र पाण्डेय ने विभिन्न क्षेत्रों से महोत्सव में आये श्रद्धालुओं का स्वागत किया. इन कार्यक्रमों में जिमी मेहता, प्रभुलाल संघवी, परेश संघवी, दीपेश भाई, राजू भाई, विजय भाई, नीलेश भाई, पारस शाह, ललीत शाह, निपुन मेहता, रमेशचंद भूरा, सुशील कुमार जैन, गुणवंती बेन, मधु बेन, अर्चना जैन, नमीता जैन, गीता बेन, प्रिया बेन, प्रेमलता बेन, पुनम बेन, जयन्ती भाई मेहता, अशोक डगली, नवीन कोठारी, पूर्णीमा जैन, रेखा जैन, कंचन जैन, रूपा जैन, संस्था के कैशियर संजीव कुमार जैन, सतेंद्र कुमार सहित अन्य प्रमुख लोग उपस्थित थे.

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