शेखपुरा. खरीफ कर्मशाला कार्यक्रम सह-प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन जिला कृषि कार्यालय के सभागार में किया गया. इसका उद्घाटन जिला कृषि पदाधिकारी सुजाता कुमारी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. इस अवसर खरीफ कर्मशाला में उपस्थित कृषि विभाग के पदाधिकारियों ,कृषि समन्यवकों और किसान सलाहकारों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार के द्वारा किसानों के हित में चलाई जा रहे सभी कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी एवं लाभ जिले के किसानों को देना सुनिश्चित करें. उन्होंने कृषि विभाग के कर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि लक्ष्य को शत-प्रतिशत पाने के लिये अपने दायित्व का निर्वहन करें. तभी कृषि के क्षेत्र में जिला का विकास संभव है. किसानों को सरकार के द्वारा दी जानेवाली अनुदान की राशि ससमय, पारदर्शिता एवं ईमानदारी के साथ उपलब्ध कराने को कहा. उन्होंने अधिकारियों को किसानों के हित में लगातार क्षेत्र भ्रमण करने का निर्देश दिया. कर्मशाला में राज्य स्तरीय जिला के नोडल पदाधिकरी सहायक उद्यान भी मौजूद थे. कर्मशाला में सहायक निदेशक, भूमि संरक्षण, जिला मत्स्य पदाधिकारी, जिला उद्यान पदाधिकारी, कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक के साथ-साथ कई पदाधिकारी, प्रगतिशील किसान एवं प्रखंड कृषि पदाधिकारी आदि उपस्थित थें.
मक्का की खेती को दें बढ़ावा
जलवायु अनुकूल करें खेती
कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक ने किसानों को जलवायु परिवर्तन एवं जलवायु अनुकूल खेती एवं खरीफ मौसम में लगाए जाने वाले धान के प्रभेदों की जानकारी उपस्थित कृषि विभाग के कर्मियों और प्रगतिशील किसानों को दी .इस कर्मशाला में कृषि वैज्ञानिकों ने खेती में लागत मूल्य कम करने की विधि बताते हुए कहा की धान की सीधी बुआई करें. जबकि, सीधी बुआई करने से नर्सरी पैदा करने,रोपाई में मजदूर एवम कदवा में होने वाली खर्च बचती है. इसी प्रकार से खरपतवार नाशी दवा का प्रयोग कर निकाई -गुड़ाई में होने वाली मजदूरों के खर्च में भी बचत होती है. धान की सीधी बुवाई करने के बाद सूखे की स्थिति में जल प्रबंधन वैज्ञानिक ढंग से करने पर पानी का खर्च भी बचता है. धान की बुवाई का उपज रोपी गई धान के समतुल्य मिलता है. धान की सीधी बुवाई की फसल पारम्परिक रूप से बोई गई फसल के तुलना में 8 से 10 दिन पहले कट जाती है.इस मौके पर जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा कि जिले में किसानों के बीच 146 क्विंटल ढैंचा बीज का वितरण किया जायगा. इसके साथ ही इसे जून माह में खेतों में लगाना महत्वपूर्ण है. इसी तरह से मूंग का फसल उत्पादन किये जाने के साथ ही उसके पौधे को खेतों में आर्गेनिक खाद के रूप में प्रयोग किसानों को करने की सलाह दी. यह रसायनिक खाद की जगह सबसे उपयुक्त खाद है.
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