Bihar News: बिहार पुलिस साइबर अपराध और डार्क वेब के खतरों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हो रही है. इसके लिए आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) और स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) में डार्क वेब और डीपफेक एनालिटिक टूल लगाए जाएंगे. इन टूल्स से पुलिस को डार्क वेब पर होने वाले अवैध कारोबार, जैसे मानव तस्करी, हथियार और चोरी किए गए डेटा (क्रेडिट कार्ड, बैंकिंग विवरण, हैक किए गए खाते) की निगरानी और पहचान करने में मदद मिलेगी.
बनेगा सुरक्षा परिचालन केंद्र
ईओयू में सुरक्षा परिचालन केंद्र (SOC) भी स्थापित किया जाएगा, जहां मोबाइल फॉरेंसिक, क्रिप्टो और अनजान आईपी डोमेन की पहचान के लिए विशेष सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर टूल्स इस्तेमाल होंगे. इससे साइबर अपराध की जल्दी पहचान और रोकथाम संभव होगी.
इन टूल्स का किया जाएगा उपयोग
डीपफेक फोटो और वीडियो की पहचान के लिए लगभग तीन करोड़ रुपये का विशेष टूल खरीदा जाएगा. यह टूल धोखाधड़ी और पहचान छेड़छाड़ की घटनाओं को पकड़ने में मदद करेगा. साथ ही मोबाइल अनलॉकिंग फीचर, क्रिप्टो करेंसी इन्वेस्टिगेशन टूल, आईपी और डोमेन लुकअप टूल और मालवेयर एनालिटिक टूल जैसे कई आधुनिक संसाधनों का उपयोग किया जाएगा.
बी-सैप जवानों के लिए खरीदे जाएंगे बुलेटप्रूफ जैकेट
सुरक्षा के लिए बी-सैप जवानों के लिए 250 बुलेटप्रूफ जैकेट और इतने ही बुलेटप्रूफ टोपी खरीदी जाएगी. इसके अलावा 40 बुलेटप्रूफ हेलमेट और 100 एलईडी ड्रैगन लाइट भी उपलब्ध कराई जाएगी. रेलवे सुरक्षा के लिए 50 एलईडी ड्रैगन लाइट, 50 वॉकी-टॉकी और 3 डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर मशीनें खरीदी जाएंगी.
गृह विभाग ने इतने रू की दी मंजूरी
गृह विभाग ने इस पूरे कार्य के लिए 28 करोड़ रुपये से अधिक खर्च की मंजूरी दी है. अधिकारियों का कहना है कि इन कदमों से बिहार पुलिस अब साइबर अपराध और डार्क वेब के खतरों से बेहतर तरीके से निपट सकेगी और अपराधियों पर कड़ी नज़र रखी जा सकेगी.

