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Bihar Cabinet: दोबारा चालू होगी बिहार की सबसे पुरानी चीनी मिल, कैबिनेट की बैठक में हुआ फैसला  

Bihar Cabinet: विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री ने बिहार में बंद चीनी मिलों को फिर से चलाने करने का वादा किया था. अब जब नई सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में राज्य की बंद नौ चीनी मिलों को फिर से चालू करने की घोषणा की है तो इससे बिहार की सबसे पुरानी चनपटिया चीनी मिल में एक बार फिर प्रोडक्शन शुरू होने की उम्मीदें जगी है.

Bihar Cabinet: करीब तीन दशक से बंद पड़ी बिहार की ऐतिहासिक चनपटिया चीनी मिल में एक बार फिर उत्पादन शुरू होने की उम्मीदें तेज हो गई हैं. नई सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में राज्य की बंद नौ चीनी मिलों को पुनः चालू करने और 25 नई मिलों की स्थापना की घोषणा की है. इस फैसले ने पश्चिम चंपारण के हजारों गन्ना किसानों के बीच नई ऊर्जा और लंबे समय बाद एक बड़े आर्थिक अवसर की उम्मीद जगा दी है.

1932 में स्थापित हुई थी चनपटिया चीनी मिल  

चनपटिया चीनी मिल की स्थापना ब्रिटिशकाल में वर्ष 1932 में हुई थी. यह न केवल प्रदेश की सबसे पुरानी चीनी मिलों में से एक रही, बल्कि पश्चिम चंपारण के ग्रामीण अर्थतंत्र की रीढ़ मानी जाती थी. 1990 के दशक में वित्तीय संकट, मशीनों की पुरानी तकनीक, बाजार में बदलाव और प्रबंधन की समस्याओं के कारण मिल का संचालन लगातार कमजोर होने लगा और 1994 में पेराई बंद कर दी गई. 1998 में को-ऑपरेटिव तहत उसे दोबारा चालू करने की कोशिश हुई थी, लेकिन वह सफल नहीं हो सकी. नतीजा 1998 में पेराई पूरी तरह बंद हो गई और तब से मिल निष्क्रिय पड़ी है. मिल की संपत्ति, भवन, मशीनरी आदि धीरे-धीरे जर्जर होते चले गए. तब से अब तक इलाके के किसानों और मिलकर्मियों ने इसके पुनर्जीवन की आस लगाए रखी, लेकिन ठोस पहल नहीं हो सकी. 

चीनी मिल से जुड़े थे 20 हजार से अधिक परिवार

मिल के बंद होने से चनपटिया अनुमंडल सहित आसपास के दर्जनों पंचायतों में आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हो गई. लगभग 20 हजार से अधिक परिवारों की आजीविका इस मिल से सीधे जुड़ी थी. गन्ना किसानों के लिए यह एक स्थायी आय का प्रमुख स्रोत था, जो बंद होने के बाद बाजार पर निर्भरता और लागत बढ़ने से लगातार संकट से जूझते रहे. हाल के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा बिहार में बंद चीनी मिलों को पुनर्जीवित करने का वादा किया गया था. अब कैबिनेट के निर्णय के बाद लोगों को यह भरोसा मिल रहा है कि चनपटिया मिल समेत अन्य इकाइयों का संचालन दोबारा संभव हो सकेगा.

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पश्चिम चंपारण जिले में हैं अभी पांच चीनी मिलें

पश्चिम चंपारण जिले में मौजूदा समय में चालू हालत में कुल पांच चीनी मिले हैं. इसमें नरकटियागंज स्थित मगध सुगर मिल, बगहा चीनी मिल, हरीनगर सुगर मिल, मझौलिया सुगर इंडस्ट्रीज, लौरिया एचपीसीएल चीनी मिल शामिल हैं. इन मिलों की वजह से चंपारण का बड़ा क्षेत्र गन्ना पर आश्रित है. अब चनपटिया मिल यदि फिर से चालू होती है तो यह किसानों के लिए वरदान से कम नहीं होगा.

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Prashant Tiwari
Prashant Tiwari
प्रशांत तिवारी डिजिटल माध्यम में पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में एक्टिव हैं. करियर की शुरुआत पंजाब केसरी से करके राजस्थान पत्रिका होते हुए फिलहाल प्रभात खबर डिजिटल के बिहार टीम तक पहुंचे हैं, देश और राज्य की राजनीति में गहरी दिलचस्पी रखते हैं. साथ ही अभी पत्रकारिता की बारीकियों को सीखने में जुटे हुए हैं.

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