Bihar News: राजधानी पटना लगातार विस्तार कर रहा है. पटना सिटी से लेकर दानापुर तक की आबादी और बिजली खपत तेजी से बढ़ी है. मौजूदा ग्रिडों पर दबाव बढ़ने के बीच अब बिजली व्यवस्था को भविष्य के हिसाब से सक्षम बनाने की तैयारी शुरू हो गई है.
अधिकारियों के मुताबिक, जमीन चिह्नित करने का काम अंतिम चरण में है और पहला नया ग्रिड आगामी साल से शुरू हो जाएगा.
पटना में बिजली संकट के बाद लिया गया फैसला
जून 2024 में मीठापुर ग्रिड के गैस चैंबर में लीक होने से मध्य पटना में 48 घंटे तक बिजली संकट बना रहा. मीठापुर और करबिगहिया ग्रिड ठप होने से बड़े पैमाने पर सप्लाई प्रभावित हुई थी. इसी घटना ने शहर को एक भरोसेमंद बैकअप प्रणाली की जरूरत का एहसास कराया और अब पांच नए ग्रिड उसी दिशा में बड़ा कदम माने जा रहे हैं.
नए ग्रिड उपकेंद्रों के लिए पांच लोकेशन तय की गई हैं. मीठापुर, कंकड़बाग और खेमनीचक में शहर को सपोर्ट देने वाले तीन नए ग्रिड बनाए जाएंगे. पुनपुन और मनेर में दो नए ग्रिड ग्रामीण क्षेत्रों की बढ़ती आबादी और औद्योगिक गतिविधियों को संभालेंगे. कंकड़बाग और मीठापुर में जमीन की पहचान कर ली गई है और विभागों को पत्र भी भेजे जा चुके हैं. पहला ग्रिड यहीं बनने की संभावना है.
अभी 10 ग्रिड संभाल रहे हैं पटना की बिजली
वर्तमान में पटना को 10 ग्रिड उपकेंद्र सप्लाई दे रहे हैं. मीठापुर, जक्कनपुर, करबिगहिया, दीघा (ओल्ड और न्यू), गायघाट, खगौल, कटरा, गौरीचक और बोर्ड कॉलोनी. लेकिन शहर का विस्तार और कनेक्टिविटी बढ़ने के कारण मांग तेजी से बढ़ी है.
अभी 7.50 लाख उपभोक्ता हैं और पीक डिमांड 883 मेगावाट तक पहुंच चुकी है. इसी वजह से पावर सब स्टेशन, ट्रांसफॉर्मर और फीडर पर लोड बढ़ रहा है. नए ग्रिड इस दबाव को काफी हद तक कम करेंगे.
नए साल में मिलेगा बड़ा फायदा
बिहार स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड के एमडी राहुल कुमार के अनुसार पटना जिले में पांच नए ग्रिड उपकेंद्रों का निर्णय लिया गया है. पहला ग्रिड शहर में नए साल में शुरू होगा. इससे पटना की बिजली सप्लाई और अधिक स्थिर होगी. आगामी महीनों में अन्य चार ग्रिडों का निर्माण भी शुरू कर दिया जाएगा.
पटना में बिजली कटौती और ट्रिपिंग होगी कम
नए ग्रिड उपकेंद्र बनने से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि शहर का लोड कई हिस्सों में बांटा जा सकेगा. ट्रिपिंग कम होगी, वोल्टेज स्थिर रहेगा और अचानक होने वाले ब्लैकआउट की संभावना घट जाएगी. यह कदम न केवल शहरी उपभोक्ताओं बल्कि पुनपुन और मनेर जैसे बढ़ते ग्रामीण और उपनगरीय क्षेत्रों के लिए भी एक बड़ा निवेश साबित होगा.

