10.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Bihar News: मखाना किसानों की चांदी! अब तालाब की गहराई से बीज निकालना होगा आसान, बिहार के वैज्ञानिकों ने बनाई हार्वेस्टिंग मशीन

Bihar News: तालाब के गहरे पानी में घंटों उतरकर मखाना निकालना, ठंड से जूझते हाथ और भारी मेहनत, अब यह तस्वीर बदलने वाली है. बिहार के मखाना किसानों के लिए एक ऐसी तकनीक सामने आई है, जो खेती की सबसे कठिन प्रक्रिया को आसान बना देगी. पूर्णिया स्थित भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय ने मखाना हार्वेस्टिंग की दिशा में वह कर दिखाया है, जिसका इंतजार किसान लंबे समय से कर रहे थे.

Bihar News: मखाना उत्पादन में बिहार देश का अग्रणी राज्य है, लेकिन इसकी खेती आज भी काफी कठिन मानी जाती है. खासकर बुहराई यानी हार्वेस्टिंग के दौरान किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

अब इस चुनौती का तकनीकी समाधान तैयार हुआ है. भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय द्वारा विकसित मखाना हार्वेस्टिंग मशीन का सफल परीक्षण किया गया है, जिससे कम समय में अधिक बीज निकालना संभव हो सकेगा.

तकनीक से बदलेगी मखाना की तस्वीर

नई मखाना हार्वेस्टिंग मशीन को विशेष रूप से तालाब आधारित खेती को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है. यह मशीन बिजली से संचालित होती है और एक स्थान पर ही बड़ी मात्रा में मखाना बीज निकालने में सक्षम है.

पारंपरिक तरीके में जहां बीज निकालने के लिए दो से तीन बार प्रक्रिया दोहरानी पड़ती थी, वहीं इस मशीन से एक ही बार में काम पूरा किया जा सकता है. इसका सीधा असर समय, लागत और श्रम तीनों पर पड़ेगा.

कम वजन, ज्यादा काम की क्षमता

करीब 95 किलोग्राम वजन वाली यह मशीन इतनी मजबूत है कि खेतों और तालाबों में आसानी से काम कर सके, और इतनी व्यावहारिक भी कि एक जगह से दूसरी जगह ले जाई जा सके.

वैज्ञानिकों के अनुसार यह मशीन फील्ड सिस्टम मखाना खेती के लिए पूरी तरह अनुकूल है. इससे किसानों की शारीरिक मेहनत कम होगी और उत्पादन प्रक्रिया ज्यादा सुरक्षित भी बनेगी.

वैज्ञानिकों की टीम का सामूहिक प्रयास

इस मशीन के विकास में बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डी.आर. सिंह के मार्गदर्शन में भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय की टीम ने अहम भूमिका निभाई. कृषि अभियंत्रण के डॉ. डी.के. महतो, ई. मोहन कुमार सिन्हा और उद्यान विशेषज्ञ डॉ. आशीष रंजन के संयुक्त शोध और प्रयोगों के बाद यह मशीन तैयार हो सकी. महाविद्यालय प्रशासन का कहना है कि यह नवाचार मखाना उत्पादक किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने में सहायक होगा.

मखाना की खेती से जुड़े किसान लंबे समय से आधुनिक मशीनों की मांग कर रहे थे. यह मशीन न केवल श्रमिकों पर निर्भरता घटाएगी, बल्कि उत्पादन लागत कम कर किसानों की आय बढ़ाने में भी मदद करेगी. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह मशीन बड़े पैमाने पर अपनाई जाती है, तो बिहार में मखाना उत्पादन को एक नई रफ्तार मिल सकती है.

जल्द होगा सार्वजनिक प्रदर्शन

महाविद्यालय प्रबंधन ने जानकारी दी है कि इस बहुप्रतीक्षित मशीन का प्रदर्शन जल्द ही बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में किया जाएगा. इसके बाद इसे किसानों तक पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक मखाना उत्पादक इस तकनीक का लाभ उठा सकें.

Also Read: Bihar News: बिहार में मशरूम की खेती को मिलेगी रफ्तार! बिहार सरकार दे रही है 90% तक अनुदान, 24 दिसंबर तक है बड़ा मौका

Pratyush Prashant
Pratyush Prashant
कंटेंट एडिटर और तीन बार लाड़ली मीडिया अवॉर्ड विजेता. जेंडर और मीडिया विषय में पीएच.डी. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल की बिहार टीम में कार्यरत. डेवलपमेंट, ओरिजनल और राजनीतिक खबरों पर लेखन में विशेष रुचि. सामाजिक सरोकारों, मीडिया विमर्श और समकालीन राजनीति पर पैनी नजर. किताबें पढ़ना और वायलीन बजाना पसंद.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel