कुव्यवस्था. सदर अस्पताल में हर तरफ गंदगी, मानक के अनुरूप नहीं मिलतीं सुविधाएं
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मरीजों में बना रहता है संक्रमण का खतरा
कुव्यवस्था. सदर अस्पताल में हर तरफ गंदगी, मानक के अनुरूप नहीं मिलतीं सुविधाएं पुराने उपकरणों से किया जाता है ऑपरेशन सतरंगी चादर योजना हुई फ्लॉप 300 बेड की जगह 150 बेड ही उपलब्ध आरा : आइएसओ 9001:2008 से मान्यता प्राप्त सदर अस्पताल की स्थिति अब भी मानक पर खरा नहीं उतर रहा है. अस्पताल प्रशासन […]
पुराने उपकरणों से किया जाता है ऑपरेशन
सतरंगी चादर योजना हुई फ्लॉप
300 बेड की जगह 150 बेड ही उपलब्ध
आरा : आइएसओ 9001:2008 से मान्यता प्राप्त सदर अस्पताल की स्थिति अब भी मानक पर खरा नहीं उतर रहा है. अस्पताल प्रशासन साफ-सफाई से लेकर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने में अब भी असफल है. वहीं, मरीजों को मानक के अनुसार स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं हो रही है. हालांकि पहले की तुलना में स्थिति थोड़ी बेहतर हुई है, पर अब भी अपेक्षा के अनुरूप अस्पताल में व्यवस्थाएं नहीं बन पायी हैं.
300 की जगह मात्र 150 बेड ही उपलब्ध : अस्पताल प्रशासन द्वारा 300 बेड होने का दावा किया जाता है, पर अस्पताल में मात्र 150 बेड ही उपलब्ध है. जबकि जिले का यह सबसे बड़ा एवं महत्वपूर्ण अस्पताल है. ऐसे में महिला वार्ड में पुरुष मरीजों को रखा जाता है, तो कभी पुरुष वार्ड में महिला मरीजों को रखा जाता है. कभी-कभी तो स्थिति ऐसी बनती है कि बेड के अभाव में मरीजों की संख्या बढ़ जाने पर जमीन पर ही रहने को मजूबर होना पड़ता है. मानक के अनुरूप स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध नहीं रहने के कारण जिले के मरीजों को मजबूरी वश इलाज के लिए बाहर जाना पड़ता है.
प्रसूति व ओटी विभाग की स्थिति दयनीय : अस्पताल में प्रसूति विभाग तथा ओटी विभाग की स्थिति अच्छी नहीं है. विभाग में काफी पुराने उपकरण उपलब्ध हैं, जबकि निजी अस्पतालों में आधुनिक उपकरण उपलब्ध हैं. पुराने उपकरणों से ऑपरेशन करने में जहां चिकित्सकों को तो परेशानी होती ही है, मरीजों के जीवन पर भी खतरा बना रहता है. आधुनिक उपकरणों के अभाव में काफी कम संख्या में मरीजों का ऑपरेशन हो पाता है. प्रसूति विभाग में भी नाॅर्मल डिलिवरी कराना काफी कठिन काम है. इस कठिन कार्य के लिए अस्पताल में काफी कम संख्या में इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध है. प्रसूति वाली महिलाओं की अधिक संख्या हो जाने पर मजबूरी में उन्हें जमीन पर रहना पड़ता है तथा जमीन पर ही प्रसव कराया जाता है. प्रसूति विभाग में डॉप्लर, बीपी मशीन, बेबी वार्मर, मॉनीटर भी प्राय: खराब रहते हैं. बावजूद अस्पताल प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है. शौचालय की स्थिति तो काफी बदतर है. मरीजों एवं नर्सों के लिए अलग-अलग शौचालय उपलब्ध नहीं हैं.
एसएनसीयू दिखा चकाचक : सदर अस्पताल में नवजात शिशु इकाई की स्थिति थोड़ी ठीक है. वहां सफाई व्यवस्था भी ठीक है, पर कई मरीजों ने कर्मियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि उनका व्यवहार मरीजों के प्रति अच्छा नहीं है.
इन वार्डों की है सुविधा : मेडिकल वार्ड, सर्जिकल वार्ड, बच्चा वार्ड, प्रसूति वार्ड, नशामुक्ति वार्ड, इमरजेंसी वार्ड, आइसीयू, एसएनसीयू.
दिन के अनुसार बेडों पर नहीं बिछायी जाती चादर
सरकार द्वारा वर्ष 2008 में ही मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के क्रम में साफ-सफाई के लिए कई योजनाएं बनायी गयी हैं, जिनमें सतरंगी चादर योजना महत्वपूर्ण थी. इस योजना के तहत अस्पताल के सभी बेडों पर प्रतिदिन अलग-अलग रंग का चादर बिछाना था. दिन के अनुसार चादर का रंग तय किया गया था,
पर धीरे-धीरे इस योजना की हवा निकल गयी. आज हालात यह है कि दिन के अनुसार विभिन्न रंगों के चादर तो नहीं ही बिछाये जाते हैं, जो चादर बिछायी जाती है, वह भी काफी फटे रहते हैं तथा पुराने रहते हैं. इससे मरीजों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. सदर अस्पताल में सतरंगी चादर योजना के तहत लगभग 2400 चादरों की जरूरत है, पर अब तक मात्र 420 चादर ही उपलब्ध है. वह भी बेड पर नहीं दिखता है.
सरकार द्वारा मरीजों की सुविधा के लिए हर दिन अलग-अलग रंग की चादर बिछाने की योजना बनायी गयी थी, ताकि अस्पताल की सफाई में किसी तरह की कमी न रहे. सरकार की सोच थी कि अलग रंग की चादर होने से सफाई निश्चित होगी, पर हो नहीं रहा है.
राजेश्वरी कुंवर, मरीज
पहले की तुलना में सफाई की स्थिति बेहतर है. वहीं, मरीजों के प्रति भी अस्पताल प्रशासन काफी संवेदनशील है. प्रयास किया जाता है कि सभी बेडों पर साफ-सुथरा चादर बिछायी जाये. मरीजों का इलाज भी काफी तत्परता से अस्पताल में किया जाता है.
डॉ रास बिहारी सिंह, सिविल सर्जन
अस्पताल में रोज चादर नहीं बदला जाता है. साफ-सफाई पर भी खास ध्यान नहीं है. सुबह में एक बार वार्ड की सफाई होती है. इससे संक्रमण फैलने का भय बना रहता है. इससे हमलोगों को काफी परेशानी हो रही है.
ददन साव, मरीज
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