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एक बेड पर सोते हैं पांच छात्र

कुव्यवस्था. जर्जर भवन में रहते हैं देश के भविष्य, सुविधाओं की है काफी कमी जब प्रभात खबर की टीम मंगलवार को राजकीय आंबेडकर आवासीय विद्यालय का सच जानने पहुंची, तो उस समय सरकार के दावों का पोल खुलता नजर आया. विद्यालय के आसपास हर जगह गंदगी का अंबार है. विद्यालय के समक्ष खुले नाले में […]

कुव्यवस्था. जर्जर भवन में रहते हैं देश के भविष्य, सुविधाओं की है काफी कमी
जब प्रभात खबर की टीम मंगलवार को राजकीय आंबेडकर आवासीय विद्यालय का सच जानने पहुंची, तो उस समय सरकार के दावों का पोल खुलता नजर आया. विद्यालय के आसपास हर जगह गंदगी का अंबार है. विद्यालय के समक्ष खुले नाले में बह रहे हैं शौचालय के पानी, जिससे निकल रहे दुर्गंध के कारण छात्रों व शिक्षकों को रहना काफी मुश्किल हो गया है. वहीं पेयजल के लिए चापाकल लिए लगे तीन चापाकलों में एक बेकार पड़े हैं, जिसे मरम्मत नहीं करायी जा रही है.
आरा : मौलाबाग स्थित राजकीय आंबेडकर आवासीय विद्यालय के छात्र जर्जर भवन में रहने को मजबूर हैं. हाल ऐसा है कि एक बेड पर पांच से छह छात्र किसी तरह रात गुजारते हैं. कमरे के अभाव में छात्रों को पठन-पाठन में भी परेशानी होती है. इसके अलावा छात्रों को उपलब्ध करायी जानेवाली पेयजल, शौचालय सहित अन्य बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. हर जगह गंदगी का अंबार और नाले में बहता शौचालय का पानी इस बात को और पुख्ता कर रहा था कि बुनियादी सुविधाओं की ओर न तो विद्यालय प्रबंधन का ध्यान और न ही प्रशासन और सरकार का. ऐसा नहीं है कि बुनियादी सुविधा बहाल कराने के सवाल पर छात्रों ने आंदोलन नहीं किया है. इस मांग को लेकर छात्र कई बार आंदोलन कर चुके हैं. बावजूद इसके इनकी मांगों पर किसी का ध्यान नहीं जा पा रहा है.
30 कमरों में 400 छात्रों को रहने की बाध्यता : 30 कमरों में 150 छात्रों के रहने की क्षमता है. लेकिन, स्थिति यह है कि इन कमरों में 400 छात्र रहते हैं. स्थिति इतनी गंभीर है कि एक बेड पर पांच से छह छात्र रहने को विवश हैं. बेड व कमरे के अभाव में किसी तरह छात्र पठन-पाठन करने को मजबूर हैं.
तीन चापाकल, जिसमें एक खराब : राजकीय आंबेडकर आवासीय विद्यालय में पेयजल के लिए महज तीन चापाकल है, जिसमें एक कई दिनों से खराब पड़ा है. पेयजल व अन्य कार्यों के लिए छात्र दो चापाकलों पर निर्भर हैं. सुबह में स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि पानी के लिए चापाकलों पर लाइन लगानी पड़ जाती है.
खुले नाले में बहता है मल-मूत्र : छात्रावास परिसर के चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है. मल-मूत्र खुले में बहता रहता है, जिससे आये दिन छात्र तरह-तरह की बीमारियों की चपेट में आते रहते हैं. स्वच्छता अभियान का पूरी तरह से राजकीय आंबेडकर आवासीय विद्यालय में मजाक उड़ता दिख रहा है. वहीं, मल-मूत्र के दुर्गंध के बीच किसी तरह छात्र रहने को विवश हैं.
शिक्षकों को चार माह से नहीं मिला वेतन : विद्यालय में पढ़ानेवाले शिक्षकों को चार माह से वेतन नहीं मिला है. शिक्षक जितेंद्र दूबे ने बताया कि चार माह से शिक्षक बिना वेतन के कार्य करने को मजबूर हैं. वेतन को लेकर कई बार शिक्षा विभाग के अधिकारियों से गुहार लगायी गयी. लेकिन, आज तक वेतन भुगतान की दिशा में कोई पहल नहीं की गयी.
क्या कहते हैं एचएम
राजकीय आंबेडकर आवासीय विद्यालय के प्रधानाध्यापक सीताराम जमादार ने बताया कि किसी तरह बच्चों को रख कर शिक्षा दी जा रही है. मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. अधिकारियों को कई बार पत्र लिखा गया. फिर भी सुविधाएं बहाल नहीं की गयी. निरीक्षण के नाम पर कई बार अधिकारी आये, आश्वासन भी मिला, लेकिन स्थिति यथावत बनी हुई है.

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