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जब मिला मौका, तब बहा दिया खून

चरपोखरी के चांदी गांव में वर्चस्व को लेकर 2001 से शुरू हुआ हत्या का सिलसिला अब तक जारी है. जब जिस गुट को मौका मिला खून की धारा बहा दी. अब तक छह लोगों की जाने चली गयी. फिर भी लड़ाई शांत नहीं हुई. हाल के दिनों में जिस तरह से दोनों पक्षों में हुई […]

चरपोखरी के चांदी गांव में वर्चस्व को लेकर 2001 से शुरू हुआ हत्या का सिलसिला अब तक जारी है. जब जिस गुट को मौका मिला खून की धारा बहा दी. अब तक छह लोगों की जाने चली गयी. फिर भी लड़ाई शांत नहीं हुई. हाल के दिनों में जिस तरह से दोनों पक्षों में हुई गोली बारी से तो यही लगता है कि यह लड़ाई अभी और आगे चलेगी.
आरा : चरपोखरी के चांदी गांव कब अशांत हो जाये ये किसी को पता नहीं है. पूर्व से चले आ रहे प्रित्तम गिरोह और माले गिरोह के बीच की लड़ाई में अब तक छह लोगों की जाने चली गयी है. दोनों गुटों की लड़ाई को देखते हुए एक पुलिस पिकेट भी गांव में स्थापित की गयी है.
फिर भी यहां लड़ाई बदस्तूर जारी है. मंगलवार की देर रात प्रित्तम यादव के भाई राजेश यादव द्वारा फायरिंग करने के बाद माले गुट के लोग आक्रोशित हो उठे. इसके बाद एक साथ धवा बोल कर प्रित्तम यादव के घर में तोड़-फोड़ करते हुए आग लगा दी.
दूसरे पक्ष से भी हो चुकी है तीन लोगों की हत्या : दूसरे पक्ष से भी तीन लोगों की हत्या प्रित्तम गिरोह के सदस्यों द्वारा शोध-प्रतिशोध में की जा चुकी है. सबसे पहले मोहन पासवान की हत्या की गयी. इसके बाद रामनाथ राम तथा बुद्धराम पासवान की हत्या कर दी गयी है, जबकि 16 मार्च को मंटू पासवान को भी गोली मार कर जख्मी कर दिया गया था. हालांकि इस घटना में मंटू पासवान बच गया था. मंटू पासवान के बयान पर चार लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी, जिसमें प्रित्तम यादव के भाई को पुलिस ने 20 मार्च को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.
पुलिस गांवों में कर रही है कैंप :इस घटना के बाद गांव के दोनों गुटों में भारी तनाव व्याप्त है. अनहोनी की आशंका को देखते हुए पुलिस गांव में कैंप किये हुए है. वहीं पुलिस टीम गठित कर गिरफ्तारी को लेकर छापेमारी कर रही है.
अनहोनी की आशंका से डरे रहते हैं ग्रामीण : दोनों गुटों की लड़ाई में कब क्या हो जाये इसे लेकर ग्रामीणों में हमेशा भय का माहौल कायम रहता है. 16 मार्च को दोनों पक्षों की तरफ से हुई गोलीबारी में मंटू पासवान नामक ग्रामीण गोली लगने से जख्मी हो गया था.
2001 से शुरू हुआ था हत्या का सिलसिला
2001 में वर्चस्व को लेकर दूसरे गुट के लोगों द्वारा प्रित्तम यादव के पिता राज किशोर सिंह की हत्या कर दी गयी. वहीं 2003 में प्रित्तम यादव के दादा बालधारी यादव की हत्या कर दी गयी. इसके बाद 16 मार्च, 2015 को चंदन यादव की गोली मार कर हत्या कर दी गयी. इस मामले में मृतक के परिजनों के बयान पर चार लोगों के विरुद्ध नामजद प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है.

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