15.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग

अंगिका समेत 40 भाषाओं को संवैधानिक दर्जा देने की मांग को लेकर प्रदर्शन नयी दिल्ली : अंतराष्ट्रीय भाषा दिवस के मौक़े पर कई संगठनों ने मगही, अंगिका, भोजपुरी, बज्जिका, अबधी, राजस्थानी, कोसली, मैथिली, कोडवा, समेत 40 भाषाओं को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की. शुक्रवार को जंतर-मंतर पर कैंपेन फॉर लैंगवेज […]

अंगिका समेत 40 भाषाओं को संवैधानिक दर्जा देने की मांग को लेकर प्रदर्शन
नयी दिल्ली : अंतराष्ट्रीय भाषा दिवस के मौक़े पर कई संगठनों ने मगही, अंगिका, भोजपुरी, बज्जिका, अबधी, राजस्थानी, कोसली, मैथिली, कोडवा, समेत 40 भाषाओं को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की. शुक्रवार को जंतर-मंतर पर कैंपेन फॉर लैंगवेज इक्वलिटी एंड राइट्स की ओर से आयोजित प्रदर्शन में कई भाषाओं के प्रतिनिधि शामिल हुए.
इन लोगों ने कहा कि इससे क्षेत्र विशेष पर सकारात्मक असर पड़ेगा. भोजपुरी भाषा मान्यता आंदोलन के संतोष पटेल ने कहा कि इन भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल कराने को लेकर 1947 से ही मांग की जा रही है, लेकिन किसी भी सरकार ने इस ओर अबतक ध्यान नहीं दिया है. 2013 में भाजपा की ओर से यह आश्वासन दिया गया था कि उनकी सरकार बनती है, तो इन भाषाओं को 8वीं अनुसूचि में शामिल किया जायेगा, लेकिन दूसरी बार सरकार बनने के बाद भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
वहीं, बज्जिका का प्रतिनिधत्व कर रहे डॉ अरुण कुमार ने कहा कि उत्तरी बिहार में बोली जाने वाली यह भाषा करोड़ों लोगों के भावना का दर्शन कराती है. मैथिली और बज्जिका को तत्काल 8वीं अनुसूचि में शामिल किये जाने की जरूरत है.
वक्ताओं ने कहा- केंद्र सरकार इस संबंध में जल्द उठाये कदम
वहीं, अखिल भारतीय अंगिका विकास मंच के राष्ट्रीय सचिव कुंदन अमिताभ ने कहा कि अंगिका, बिहार- झारखंड और पश्चिम बंगाल के 26 जिलों के 6 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाने वाली एक विशिष्ट भाषा है, जिसे संविधान की 8 वीं अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए. जब तक अंगिका और अन्य मातृभाषाओं में शिक्षा और रोजगार उपलब्ध नहीं कराया जायेगा, देश की स्वतंत्रता का सही उद्देश्य प्राप्त करना असंभव है.उन्होंने कहा कि इतने बड़े भू-भाग में बोली जाने वाली भाषा को संविधान की अनुसूचि में शामिल न करना समझ से परे है.
सरकार को इस दिशा में तत्काल कदम उठाना चाहिए. कोसली भाषा का प्रतिनिधत्व कर रहे साकेत श्रीभूषण साहू ने कहा कि यह पश्चिमी ओड‍़िसा में बोली जाने वाली भाषा है. जो वहां के लोगों के आचार-व्यवहार से जुड़ी है. इसे सिर्फ क्षेत्रीय भाषा की संज्ञा नहीं दी जा सकती है. प्रदर्शन में योगेशराज, सुधीर हिल्सायन, श्रीमती रमा पांडे, सुश्री रीमा बनर्जी और अन्य लोगों ने भी प्रदर्शन में भाग लिया.
Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel