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आउटसोर्सिंग के नाम पर विवि में रुपये की बंदरबाट

मुकेश कुमार, आरा : वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में प्रत्येक वर्ष आउटसोर्सिंग के नाम पर लाखों रुपये की राशि का बंदरबांट किया जा रहा. सफाई, सुरक्षा व कंप्यूटर ऑपरेटर के नाम पर एजेंसी से सांठगांठ कर वीकेएसयू में यह खेल सालों से खेला जा रहा है. विवि द्वारा एजेंसियों को कुछ रुपये दिये जाते हैं […]

मुकेश कुमार, आरा : वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में प्रत्येक वर्ष आउटसोर्सिंग के नाम पर लाखों रुपये की राशि का बंदरबांट किया जा रहा. सफाई, सुरक्षा व कंप्यूटर ऑपरेटर के नाम पर एजेंसी से सांठगांठ कर वीकेएसयू में यह खेल सालों से खेला जा रहा है. विवि द्वारा एजेंसियों को कुछ रुपये दिये जाते हैं और कर्मचारियों को कुछ राशि मिलती है.
विवि द्वारा प्रत्येक गार्ड को संभावित: 10 हजार 556 रुपये मासिक वेतन के हिसाब एजेंसी को दिया जाता है. जबकि सुरक्षा गार्डों को यह राशि पांच से छह हजार रुपये ही प्रत्येक माह वेतन की रूप में मिलता है. यही हाल सफाई कर्मी व कंप्यूटर ऑपरेटरों का भी है. सफाई का जिम्मा राज इंफोरमेटिंग कंपनी व कंप्यूटर ऑपरेटर का जिम्मा सिक्स्थ सेंस कंपनी को दिया गया है.
सूत्रों ने बताया कि विवि में संविदा पर पहले से ही 17 सफाईकर्मी बहाल किये जा चुके हैं. इसके बावजूद मुनाफाखोरी की कमाई करने के लिए 34 और सफाईकर्मियों को दैनिक कामगार के माध्यम से बहाल कर लिया गया है ताकि राशि का बंदरबांट किया जा सके. कंप्यूटर ऑपरेटर के लिए विवि द्वारा एजेंसी को नौ हजार 595 दिये जाते हैं.
उसके साथ-साथ 18 प्रतिशत जीएसटी भी विवि द्वारा देय है लेकिन आउटसोर्सिंग के तहत कार्यरत कर्मचारियों से पूछा गया तो उन लोगों ने बताया कि हमलोगों को एजेंसी के द्वारा संभावित: आठ हजार रुपये ही दिये जाते हैं. कंप्यूटर ऑपरेटर ने बताया कि पीएफ की राशि में भी एजेंसी के द्वारा अनियमितता बरती जाती है. किसी महीने पीएफ की राशि 150 तो किसी महीने पीएफ की राशि 169 रुपये काटी जाती है.
17 कर्मचारियों का हुआ था चयन 31 करे रहे हैं कार्य
आउटसोर्सिंग के माध्यम से आये हुए कर्मियों का चयन विवि द्वारा लिखित परीक्षा व टाइपिंग टेस्ट के बाद किया गया था. टाइपिंग की परीक्षा विज्ञान भवन में बने कंप्यूटर लैब में कुलसचिव की देखरेख में किया गया था, जिसमें 17 लोगों का चयन किया गया था. वहीं विवि में पहले से कार्यरत कई कर्मियों को सेवा मुक्त यह कहकर कर दिया गया था कि आप लोगों की टाइपिंग स्पीड बहुत ही कम है लेकिन दुभार्ग्य की बात है कि कुछ महीनों के बाद जुगाड़ टेक्नोलॉजी के माध्यम से नये लोगों को बहाल कर लिया गया. वहीं सूत्रों ने बताया कि कर्मियों की छटनी तो एक बहाना था नये लोगों को जुगाड़ के माध्यम से लाना था.
क्या कहते हैं कुलपति
गार्ड का टेंडर अब खत्म हो चुका है. अगली बार से टेंडर में इस बात का ध्यान रखा जायेगा. गार्ड हो अथवा ऑपरेटर सभी को उचित वेतन दिया जाना चाहिए. विवि खुलते ही इस पर अधिकारियों से वार्ता की जायेगी.
प्रो नंद किशाेर साह, कुलपति

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