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आरा : बुझ गया घर का इकलौता चिराग, मां बाप के मरने के बाद सोनू के कंधे पर थी दो बहनों की जिम्मेदारी

सोनू ऑटो चलाकर करता था परिवार का भरण-पोषण आरा : अपने बहनों की जोड़ें में देखने का सपना सोनू का अधूरा रह गया. मां-बाप के मरने के बाद ऑटो चलाकर अपने पूरे परिवार का भरण पोषण करता था. वह अपने घर का इकलौता चिराग था. जो सदर प्रखंड कार्यालय में पेड़ गिरने से उसमें दबकर […]

सोनू ऑटो चलाकर करता था परिवार का भरण-पोषण
आरा : अपने बहनों की जोड़ें में देखने का सपना सोनू का अधूरा रह गया. मां-बाप के मरने के बाद ऑटो चलाकर अपने पूरे परिवार का भरण पोषण करता था. वह अपने घर का इकलौता चिराग था. जो सदर प्रखंड कार्यालय में पेड़ गिरने से उसमें दबकर उसकी मौत हो गयी. उसके सारे अरमान धरे के धरे रह गये. सोनू की दो बहने है, जिनकी शादी की जिम्मेदारी उसी के कंधे पर थी.
इसी को लेकर वह ऑटो चलाकर परिवार का भरण पोषन करने के बाद मन ही मन अपने बहनों की शादी के लिए पैसा जुटा रहा था, लेकिन सोमवार को हादसे में वह काल के गाल में समा गया.
सोनू जमीरा गांव निवासी स्व बच्चन पासवान का पुत्र था. उसके मरने के बाद परिजनों में कोहराम मच गया. दोनों बहनों का रोते- रोते बुरा हाल है. उसके चचेरे भाई ने बताया कि अब तो इस परिवार में कोई भी नहीं बचा. अब दोनों बहनों की जिम्मेदारी समाज के कंधों पर है.
बताया जा रहा है कि सोनू अपने गांव के ही बासुदेव राम की बहू को प्रसव कराने के लिए भाड़े पर ऑटो लेकर आया था. प्रसव के दौरान बासुदेव राम की बहू को बेटा हुआ. अब घर लौटने की तैयारियां चल ही रही थी. इसी बीच पेड़ गिरने से उसकी मौत हो गयी. वहीं दूसरी तरफ महज तीन सौ रुपये कमाने के लिए आशा उर्मिला देवी की जान चली गयी. उर्मिला देवी आशा के रूप में काम करती थी.
सोमवार को वह गांव के ही एक महिला का प्रसव के दौरान मिलनेवाली पैसा दिलाने के लिए सदर प्रखंड आयी हुई थी. पेड़ की चपेट में आने से उसकी भी जान चली गयी. इस घटना से आशा में काफी रोश है.
आशा का कहना है कि सरकार द्वारा मानदेय नहीं दी जाती है. प्रसव कराने के बाद सभी आशा को तीन सौ रुपया सरकार के द्वारा दिया जाता है. सरकार 24 घंटा ड्यूटी लेती है लेकिन कोई अनहोनी होने के बाद उसकी जिम्मेदारी सरकार नहीं लेती है.
मां की मौत के बाद दहाड़ मारकर रोने लगे बच्चे
आशा कार्यकर्ता उर्मिला देवी को तीन पुत्रियां है. दीप माला, ममता और खुशी कुमारी है. वहीं दो बच्चे दीपक औार दिलीप है. पति विभूति प्रसाद पेशे से किसान है. पत्नी के मौत के बाद पूरे परिवार पर आर्थिक संकट मंडराने लगा है. सभी परिजनों का रोते- रोते बुरा हाल है.

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