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पंडाल में शेषनाग रहेंगे आकर्षण का केंद्र

नवमी को आईएमए आयोजित करेगा स्वास्थ्य शिविर आरा : महावीर टोला में श्री दुर्गापूजा भवानी कला मंदिर समिति द्वारा भव्य तरीके से पंडाल का निर्माण कराया जा रहा है. दुर्गापूजा महोत्सव को लेकर जिले सहित नगर में तैयारी जोरों पर है. जगह-जगह पंडालों का निर्माण कार्य काफी प्रगति पर है. पूजा समितियों ने पंडालों को […]

नवमी को आईएमए आयोजित करेगा स्वास्थ्य शिविर
आरा : महावीर टोला में श्री दुर्गापूजा भवानी कला मंदिर समिति द्वारा भव्य तरीके से पंडाल का निर्माण कराया जा रहा है. दुर्गापूजा महोत्सव को लेकर जिले सहित नगर में तैयारी जोरों पर है. जगह-जगह पंडालों का निर्माण कार्य काफी प्रगति पर है. पूजा समितियों ने पंडालों को भव्य बनाने के लिए कमर कस ली है. इसके लिए पूरे जोर-शोर से तैयारी की जा रही है. पंडाल निर्माता व मूर्ति निर्माता लगातार काम कर पंडालों को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं. पूजा समितियों में अपने-अपने पंडालों को सबसे अच्छा बनाने के लिए होड़ मची हुई है. पूरे नगर में पूजा का माहौल बनता जा रहा है.
बंगाल के कारीगर कर रहे हैं पंडाल का निर्माण : बंगाल के नामीगिरामी कारीगर पंडाल का निर्माण कर रहे हैं. मुख्य कारीगर राज कुमार के नेतृत्व में विगत 10 दिनों से पंडाल निर्माण का कार्य चल रहा है. दक्षिण भारत शिल्प कला के विशेषज्ञ कारीगर के साथ 10 सहयोगी कारीगर कार्य कर रहे हैं. सभी पंडाल को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं.
70 फुट होगी ऊंचाई : समिति के अध्यक्ष संतोष पांडेय ने बताया कि पंडाल की ऊंचाई 70 फुट की होगी. यह अपने आप में एक रिकाॅर्ड होगा. नगर का सबसे ऊंचा पंडाल महावीर टोला में होगा. शेषनाग पंडाल में आकर्षक का केंद्र रहेंगे. वहीं मां दुर्गा विहंगम रथ पर सवार होकर पहाड़ी जंगलों में महिषासुर का वध करते नजर आयेंगी.
वर्ष 93 से हो रही है पूजा : महावीर टोला में मां दुर्गा की पूजा वर्ष 1993 से ही की जा रही है. वहीं पंडाल का निर्माण भी 1993 से ही हो रहा है. सभी मुहल्लेवासी में इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. इससे आध्यात्मिक माहौल का निर्माण हो रहा है.
दक्षिण भारत के शिल्प कला की दिखेगी झलक : महावीर टोला का पंडाल दक्षिण भारत शिल्प कला के आधार पर बनाया जायेगा. जो नगर में आकर्षण का केंद्र रहेगा. दक्षिण भारत शिल्प कला की सुंदरता से श्रद्धालु रू-ब-रू होंगे तथा इसका लाभ उठायेंगे.
श्री दुर्गापूजा भवानी कला मंदिर समिति में ये हैं अधिकारी : श्री दुर्गापूजा भवानी कला मंदिर समिति में अध्यक्ष संतोष पांडेय, उपाध्यक्ष अभय, सचिव आशुतोष पांडेय, कोषाध्यक्ष वासुदेव हैं. वहीं सदस्य के रूप में नारायण यादव, विनोद यादव, संजीत कुमार तथा विनोद कुमार हैं. इनके नेतृत्व में पूरी तैयारी की जा रही है.
पांच लाख की लागत से तैयार हो रहा है पूजा पंडाल
महावीर टोला में श्री दुर्गापूजा भवानी कला मंदिर समिति द्वारा पांच लाख की लागत से पूजा पंडाल तैयार कराया जा रहा है. इसे लेकर समिति के अध्यक्ष संतोष पांडेय ने बताया कि पंडाल में काफी सजावट होगा. यह काफी आकर्षक दिखेगा. सभी मुहल्लावासियों का पूरा सहयोग मिल रहा है. नगर में हमलोगों का पंडाल सबसे अच्छा हो, इसका प्रयास किया जा रहा है.
शूद्र को अछूत कहनेवाला सनातन धर्म से अपरिचित
सामान्य परिस्थिति में पारंपरिक गुरु को बदला जाता है. पुरोहित को नहीं. पुरोहित पीढ़ी-दर-पीढ़ी के लिए होते हैं, लेकिन गुरु और पुरोहित यदि अपनी मर्यादा से पतित हो जाये, तो उन्हें त्याग कर देना चाहिए. ब्राह्मण एक जाति नहीं, वह संस्कार और सदाचार का प्रेरक है. मर्यादा विहीन ब्राह्मण मर्यादा के साथ जीनेवाले चांडाल से भी खराब है. अन्याय और अनाचार से रक्षा करनेवाला ही क्षत्रिय होता है. उसका जीवन मर्यादा की रक्षा के लिए समर्पित होना चाहिए. जीव हिंसा करके जीनेवाला क्षत्रिय नहीं कहा जायेगा. सारे समाज को एक सूत्र में बांधकर रखनेवाला शूद्र कहलाता है.
शूद्र अछूत नहीं है. उन्हें अछूत कहनेवाला शास्त्र और सनातन धर्म से अपरिचित है. उपरोक्त बातें श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी ने चंदवा चातुर्मास ज्ञान-यज्ञ में प्रवचन करते हुए कहीं. स्वामी जी ने कहा कि जाति का मानक कर्म नहीं होता. मनुष्य सुबह से देर रात तक अपने दिनचर्या में सफाई, कपड़ा धोने, दाढ़ी बनाने, जूता साफ करने और भोजन बनाने आदि का काम करता है. अगर कार्य के अनुसार जाति का निर्धारण हो, व्यक्ति की जाति 24 घंटे में कई बार बदलेगी.
उन्होंने कहा कि कोई मनुष्य अछूत नहीं होता है. अछूत बिजली है, जिसे छूने से जीव की मौत हो जाती है. स्वामी जी ने कहा कि श्री रामानुजाचार्य जी के गुरु खास लोगों को गुप्त रूप से मंत्र देते थे, लेकिन एक दिन रामानुजाचार्य जी ने मानव जाति के कल्याणार्थ सभा बुलाकर सार्वजनिक रूप से गुरु मंत्र की घोषणा कर दी. उनके स्थान से निकलनीवाली भगवान की पालकी को शूद्र ही उठाते हैं.
श्री जीयर स्वामी ने कहा कि मर्यादा के विरुद्ध कार्य करने पर शनि जैसे प्रभावशाली ग्रह को भी दंड भोगना पड़ता है. शनि देव विवाहोपरांत जब वह रात्रि को पत्नी के पास पहुंचे, तो वे पूरी रात ईश्वर में ध्यानस्त रहे. सुबह उनकी पत्नी ने पति व्यवहार के अभाव से क्राधित होकर उन्हें शाप दे दिया कि आप की दृष्टि जिस पर पड़ेगी, उसका अहित हो जायेगा. उसके बाद से शनि सिर झुकाये रहते हैं.
स्वामी जी ने कहा कि स्त्रियों को मर्यादा के साथ अपने पति व परिजन की सेवा बिना भेदभाव से करनी चाहिए न कि आश्रम में जाकर गुरु सेवा के नाम पर निवास करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि महिलाएं साधु संत में विश्वास रखें और दान आदि करें, लेकिन उनसे नजदीकी संबंध नहीं बनाएं. संत को दूर से प्रणाम करें. स्त्रियों की साधु-संतों से अति निकटता धर्म संगत नहीं, क्योंकि वहां भटकाव की संभावना बनी रहेगी.

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