कजरैली थानाक्षेत्र के गौराचौकी में 6 जून 2017 को हुए सोनी के अपहरण कांड में पुलिस सोनी को आज तक जिंदा या मुर्दा नही ढूंढ सकी. जबकि इस कांड की एक के बाद एक छह अनुसंधानकर्ताओं ने जांच की. अधिकतर आइओ खुद थानाध्यक्ष रहे हैं. तीन थानाध्यक्ष ने खुद केस की जांच की. पर सात साल बीतने के बाद भी सोनी का पता नहीं चल पाया. अंत में दारोगा रोहित पासवान ने केस में आरोप पत्र कोर्ट में समर्पित कर दिया. हिमांशु के परिजनों का कहना है कि सोनी को पुलिस जिंदा या मुर्दा ढूंढ कर ला दे. अगर मर भी गयी है तो पुलिस सिद्ध कर दे ताकि दाह संस्कार कर सकें. क्योंकि सोनी कुमारी का मृत होने का सबूत के अभाव में दाह संस्कार भी अब तक नहीं हुआ है. उधर घटना के बाद चर्चा हुई थी कि सोनी के परिजनों द्वारा हिमांशु यादव की हत्या के बाद उनकी पत्नी सोनी को हिमांशु के घर से घसीट कर भतौड़िया तरफ ले जाया गया था. वहां उसकी हत्या कर शव को गोलाहू के चौर में जगह-जगह फेंक दिया गया था. हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो सकी. इस बात का पता पुलिस को तीन दिन बाद लगा. इसके बाद तत्कालीन थानाध्यक्ष विजय कुमार ने गोलाहू के चौर में कई घंटो तक खाक छाना था. हालांकि वहां उन्हें कुछ भी नहीं मिला. उसी समय हिमांशु के भाई अविनाश ने भाभी की हत्या की मंशा से अपहरण का आवेदन दिया था. इस पर कजरैली थाने में लड़की के मां, चाची, चाचा आदि पर केस दर्ज हुआ था. हिमांशु की हत्या में 19 अभियुक्तों को सजा हो गयी. सोनी के अपहरण कर हत्या मामले में कई महिला सहित 9 पर आरोप तय हो गया है. कई लोग काफी साल तक घर छोड़ कर भाग गये. जमीन जायजाद बिक गया. उधर हिमांशु का परिवार आज सात साल से चार पुलिसकर्मियों के पहरे में जी रहा है.
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