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bhagalpur news. टीएमबीयू को चार साल से सरकारी ग्रांड मिलना बंद

टीएमबीयू में नैक मूल्यांकन की तैयारी तीन साल से जारी है, जो अबतक चल रहा है.

आरफीन, भागलपुर

टीएमबीयू में नैक मूल्यांकन की तैयारी तीन साल से जारी है, जो अबतक चल रहा है. दूसरी तरफ विवि को चार साल से सरकारी ग्रांड मिलना बंद हो गया है. ऐसे में विवि के विकास का कार्य तेज रफ्तार से नहीं हो पा रहा है. विवि के छात्र-छात्राओं को बुनियादी सुविधा भी नहीं मिल पा रहा है. दरअसल, टीएमबीयू का नैक मूल्यांकन वर्ष 2016 में हुआ था. विवि का नैक से मान्यता वर्ष 2021 के जुलाई में ही समाप्त हो चुका है. ऐसे में नैक मूल्यांकन नहीं होने से वर्ष 2021 से केंद्र व राज्य सरकार से मिलने वाले अनुदान की राशि बंद है.

पीएम उषा को लेकर भेजा प्रस्ताव नामंजूर

विवि सूत्रों के अनुसार तत्कालीन कुलपति प्रो जवाहर लाल के निर्देश पर वर्ष 2024 में पीएम उषा के तहत प्रस्ताव सरकार को भेजा गया था. पीएम उषा से प्रस्ताव को मंजूरी मिलने पर विवि को अनुदान की राशि प्राप्त होती, लेकिन सरकार ने पीएम उषा के प्रस्ताव को नामंजूर करते हुए कहा कि विवि का नैक से मूल्यांकन नहीं है. जबकि सूबे के एक विवि का नैक से मूल्यांकन होने पर पीएम उषा के तहत अनुदान की राशि जारी कर दी गयी. इसके अलावा एक सौ करोड़ के प्रोजेक्ट तैयार कर रूसा को भेजा गया था, लेकिन उसे भी नामंजूर कर दिया गया.

नैक मूल्यांकन होने पर पहले किस्त में मिले दस करोड़

टीएमबीयू का वर्ष 2016 में नैक से मूल्यांकन होने पर बी ग्रेड प्राप्त हुआ था. उस समय विवि के कुलपति प्रो रमा शंकर दुबे थे. बताया जा रहा है कि विवि को बी ग्रेड मिलने पर केंद्र व राज्य सरकार से रूसा के तहत पहले किस्त में दस करोड़ अनुदान की राशि मिली और दस करोड़ मिलना बाकी था. इसके बाद से विवि को सरकार की तरफ से कोई अनुदान की राशि नहीं मिली.

अनुदान की राशि से बनाया गया दिनकर भवन

विवि के एक अधिकारी ने बताया कि दस करोड़ की राशि से विवि में निर्माण कार्य व पीजी हॉस्टलों की मरम्मत करायी गयी. इसके तहत पीजी न्यू दिनकर भवन के पीजी हिंदी विभाग के सामने दिनकर भवन का निर्माण कराया गया है. वहीं, पीजी मनोविज्ञान विभाग के समीप स्मार्ट क्लास के भवन का निर्माण कराया गया है. साथ ही पीजी गर्ल्स हॉस्टलों के जर्जर भवन का जीर्णोद्धार कराया गया है. कुछ चीजों पर अभी काम होना बाकी है.

उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजा गया

विवि के विकास पदाधिकारी अनिल कुमार सिंह ने कहा कि उन कार्यों में खर्च हुए राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र रूसा मुख्यालय को भेजा गया है, लेकिन कुछ तकनीकी कमी को बता कर फिर से उपयोगिता प्रमाण पत्र मांगा गया है. उसे भेजा जा रहा है. कहा कि विवि का पूर्व में नैक से हुए मूल्यांकन के आधार पर दस करोड़ की राशि प्रथम किस्त में प्राप्त हुआ था. तत्कालीन कुलपति के निर्देश पर उस राशि से सरकार की एजेंसी से निर्माण व मरम्मत कार्य कराया गया.

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