सैकड़ों बाढ़ पीड़ित परिवार बुधवार को जीआर (ग्रैच्युटी रिलीफ) राशि की मांग को लेकर प्रखंड मुख्यालय पहुंचे और जम कर हंगामा किया. प्रभावितों ने आरोप लगाया कि राहत सूची से सैकड़ों लोगों का नाम हटा दिया गया है, जबकि बिचौलिये नाम जोड़ने के लिए पैसे की मांग कर रहे हैं. पीड़ितों का कहना था कि उनका घर एक सप्ताह तक बाढ़ के पानी में डूबा रहा, लेकिन न तो सामुदायिक किचन का लाभ मिला और न ही पॉलीथिन की सुविधा. जब वह अपनी समस्या बताने सीओ कार्यालय पहुंचे, तो वहां अधिकारी मौजूद नहीं थे. आक्रोशित बाढ़ पीड़ित मुख्यालय के गेट पर धरने पर बैठ गये. पानी घटने के बाद अब प्रभावित परिवारों को राहत राशि और पॉलीथिन की सख्त जरूरत महसूस हो रही है. पीड़ितों का आरोप है कि इस बार प्रशासन ने उनके नाम राहत सूची से हटा दिया है, जबकि पूर्व में वह नियमित रूप से सहायता राशि प्राप्त करते रहे हैं. जन संसद के संरक्षक अजीत कुमार ने मामले को गंभीरता से उठाते हुए कहा कि प्रशासन को तत्काल बाढ़ पीड़ितों के नाम सूची में जोड़ना चाहिए ताकि उन्हें समय पर मदद मिल सके. उन्होंने आग्रह किया कि प्रभावित परिवारों को शीघ्र पॉलीथिन उपलब्ध कराया जाए, क्योंकि कई लोग खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं. जनसंसद संरक्षक ने आरोप लगाया कि सीओ कार्यालय में भ्रष्टाचार चरम पर है और बाढ़ राहत के नाम पर लूट मची है. उन्होंने कहा कि वंचित परिवारों का नाम हर हाल में सूची में जोड़ा जाए और उन्हें जीआर राशि उपलब्ध करायी जाए, अन्यथा धरना-प्रदर्शन होगा. काफी देर तक सीओ आवास का घेराव करने के बाद पीड़ित वापस लौटे. इस बीच तिलकपुर और मिरहटी पंचायतों से सैकड़ों ग्रामीण प्रखंड कार्यालय पहुंचकर अधिकारियों के समक्ष अपनी समस्याएं रखी. बाढ़ पीड़ितों को तत्काल राहत उपलब्ध कराना अब प्रशासन की जिम्मेदारी है.
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