भागलपुर
कला केंद्र में रविवार को चित्रकला, मंजूषा कला प्रतियोगिता, रवींद्र रंगमंच व शास्त्रीय नृत्य के साथ परिधि सृजन मेला 2025 का आगाज हुआ. अतिथियों ने कहा कि सृजनात्मक कार्यों से ही ध्वंसात्मक गतिविधि पर रोक लग सकती है. इसका जीता-जागता उदाहरण सृजन मेला है, जहां नौनिहाल सृजन कार्यों से जुड़ रहे हैं. वर्षों से चल रही परंपरा कायम है. मेयर डॉ बसुंधरा लाल ने मेले का उद्घाटन किया. अतिथियों का स्वागत निदेशक उदय एवं कला केंद्र के प्राचार्य राजीव कुमार सिंह ने किया.
प्रात: सात बजे ही परिधि सृजन मेला में बाल किशोर और युवा प्रतिभाओं ने चित्रकला के माध्यम से प्रकृति पर संकट और सह अस्तित्व के मुद्दों पर अपनी भावना रंगों के माध्यम से उकेरा. इसके बाद कविता पाठ के कार्यक्रम में भी नदी, जंगल, जीव और जीवन के सहोपजीविता की कविता पाठ किया गया. फिर मंजूषा चित्रकला में जूनियर और सीनियर प्रतिभागियों ने मूल मंजूषा चित्र और प्रायोगिक मंजूषा पेंटिंग्स बनाए. संध्या पांच बजे रविंद्र रंगमंच पर शास्त्रीय नृत्य की धूम रही. भरतनाट्यम और कथक नृत्य के एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियों में दर्शक सराबोर रहे. दर्शकदीर्घा में तालियां गूंजती रही और कलाकार थिरकते रहे.
आज अलग-अलग कार्यक्रम होंगे
मीडिया प्रभारी ललन ने बताया कि परिधि सृजन मेला में 28 अप्रैल को शास्त्रीय गायन, सुगम संगीत, लोकगीत, मिट्टी का खिलौना निर्माण और वेशभूषा सज्जा प्रतियोगिता होगी. अपराह्न तीन बजे से प्रतियोगिताएं शुरू होंगी. संध्या छह बजे से कला शिल्प प्रदर्शनी तथा मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे. इस मौके पर प्रकाश चन्द्र गुप्ता, डॉ गुरुदेव पोद्दार, अनीता शर्मा, सुषमा, रजनी, जेड हसन, डॉ बिहारी लाल, दीपक शर्मा, मुन्ना सरदार आदि उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है