भागलपुर शहर के मुख्य बाजार समेत विभिन्न मुहल्लों में चोरी छिपे रहने वाले सीवेट कैट अब कम संख्या दिख रहे हैं. एक दशक पहले तक शहर के सूजागंज, खरमनचक, नयाबाजार, लालबाग, नवाब कॉलोनी, सैंडिस कंपाउंड व हवाई अड्डा से सटे मुहल्ले यह अच्छी खासी तादाद में रहते थे. दिखने में यह बिल्ली व नेवले की शक्ल से मिलता जुलता है. रात में शिकार के लिए निकलने वाला यह जीव अब शहर में कम दिखता है. मंदार नेचर क्लब के संस्थापक अरविंद मिश्रा ने बताया कि एक दशक पहले तक शहर में सीवेट कैट की अनुमानित संख्या करीब 200 के आसपास थी. अब यह हमारे नजरों से ओझल हो चुका है. अंतिम बार मैंने उसे छह साल पहले अपने घर में अमरूद के पेड़ पर रात में देखा था. उसी दौरान सुजागंज स्थित एक जेनरल स्टोर में मादा सीवेट कैट अपने बच्चों के साथ रहती थी. यह शर्मीला जीव है. कभी किसी इंसान को घायल नहीं किया है.
गांवों में सीवेट कैट को मुंहचोब्भा कहते हैं
गंगा प्रहरी दीपक कुमार ने बताया कि मैंने सीवेट कैट का शहर में कई बार रेस्क्यू किया है.वहीं लोगों को इसके संरक्षण के लिए जागरूक भी किया है. गांवों में इसे मुंहचोब्भा भी कहा जाता है. यह छोटे जीव व फल खाते हैं.
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