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कुशवाहा के निधन से अंग प्रदेश को अपूरणीय क्षति

अखिल भारतीय अंगिका साहित्य विकास समिति के तत्वावधान में गुरुवार को कचहरी परिसर में हिंदी-अंगिका व भोजपुरी साहित्य के विद्वान डॉ तेज नारायण कुशवाहा के निधन पर श्रद्धांजलि सभा हुई.

अखिल भारतीय अंगिका साहित्य विकास समिति के तत्वावधान में गुरुवार को कचहरी परिसर में हिंदी-अंगिका व भोजपुरी साहित्य के विद्वान डॉ तेज नारायण कुशवाहा के निधन पर श्रद्धांजलि सभा हुई. अध्यक्षता समिति के कार्यकारिणी सदस्य डॉ विलक्षण विभूति ने की. समिति के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोकीनाथ दिवाकर ने डॉ कुशवाहा को हिंदी, अंगिका व भोजपुरी का शीर्ष साहित्यकार बताया. उन्होंने कहा कि कुशवाहा जी के रूप में उन्होंने एक कुशल अभिभावक को खो दिया है. यह उनकी ही नहीं, बल्कि पूरे अंग प्रदेश की अपूरणीय क्षति है. प्रीतम विश्वकर्मा कवियाठ ने कहा कि उनकी साहित्यिक सेवा के लिए अंग प्रदेश के लोग उन्हें हमेशा याद रखेंगे. धीरज पंडित कविराज ने बताया कि डॉ तेज नारायण कुशवाहा ने ही ईशीपुर स्थित विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ की स्थापना की थी. अंग उत्थान आन्दोलन समिति के केन्द्रीय अध्यक्ष गौतम सुमन गर्जना ने अपने विचार रखे. अधिवक्ता सैयद सलीम अहमद, अधिवक्ता विकास कुमार, अधिवक्ता प्रवीण कुमार, अधिवक्ता अजय कुमार दास, अधिवक्ता इंद्रजीत कुमार दास, अधिवक्ता अरुण कुमार मिश्रा, मुरारी यादव, ओंकार नाथ दिवाकर, ज्वाला अंगार, रंजन कुमार, अधिवक्ता सुनील कुमार आदि ने श्रद्धांजलि दी.

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