भागलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज परिसर में मंगलवार को चतुर्थ वर्गीय कर्मियों ने अपनी मांगों को लेकर प्राचार्य कार्यालय के समक्ष धरना दिया. इस दौरान बड़ी संख्या में कॉलेज के छात्र-छात्राएं भी उनके समर्थन में जुट गये. इस दौरान कर्मियों ने आरोप लगाया कि प्राचार्य राजूराम तुगनायत उन्हें काम से मुक्त करना चाहते हैं, जबकि दैनिक भत्ते के सहारे उनका परिवार चलता है. कर्मियों ने बताया कि नए प्राचार्य के आने के बाद से ही चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों पर नए नियम लागू किए जा रहे हैं.
कर्मियों ने कहा कि कॉलेज 1962 से संचालित है और कई कर्मचारी पिछले 40-50 वर्षों से यहां सेवा दे रहे हैं. कुछ तो अब वृद्धावस्था में पहुंच चुके हैं. आरोप लगाया कि प्राचार्य पुराने कर्मचारियों को हटाकर नए लोगों को लाना चाहते हैं. धरना पर पहुंचे हॉस्टल के छात्र-छात्राओं ने कहा कि कर्मियों की मांग जायज है. पूर्व प्राचार्य ओपी राय के कार्यकाल में इन्हें किसी प्रकार की परेशानी नहीं थी. नए प्राचार्य के आने के बाद ऐसे नियम बनाए जा रहे हैं, जो कर्मियों के लिए नुकसानदायक हैं. बताया कि अधिकांश कर्मी हॉस्टल वार्ड में कार्यरत हैं, जो कमरे और बाथरूम की साफ-सफाई, कॉलेज की देखरेख और छात्रों की अन्य मूलभूत सुविधाओं को देखते हैं. कहा कि वे लोग प्रतिवर्ष हॉस्टल के लिए 16 हजार रुपये कॉलेज प्रबंधन को चुकाते हैं. उन्हें अपनी सुविधा के लिए इन लोगों की आवश्यकता है. कहा कि अगर हम पैसे देते हैं तो साफ-सफाई की व्यवस्था मिलनी चाहिए. कर्मियों को हटाने की बात पर प्राचार्य ने हॉस्टल के छात्रों कमरे का काम खुद से करने को कहा है.
कहा कि इन कर्मियों से 10-12 घंटे की ड्यूटी के बजाय 24 घंटे काम लिया जाता है. इसके बावजूद वह बिना किसी शिकायत मेहनत कर रहे हैं. छात्रों ने चेतावनी दी कि यदि कॉलेज प्रबंधन ने कर्मियों की मांगों को नहीं माना तो वे विरोध-प्रदर्शन करेंगे.
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