– स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए बनायी गयी विस्तृत योजना- केवीके में सबौर मखाना-1 का बीज पौधशाला में तैयार, अगले माह होगी रोपनी
– प्रगतिशील कृषकों के यहां होगा मखाना की खेती का प्रत्यक्षणप्रतिनिधि,सबौर
बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर द्वारा भागलपुर जिला अंतर्गत बेकार पड़े जलजमाव वाले क्षेत्रों की उत्पादन, उत्पादकता एवं लाभप्रदता के साथ-साथ स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए एक विस्तृत योजना बनायी गयी है. जिसके प्रथम चरण में प्रायोगिक तौर पर बीते वर्ष केवीके, सबौर प्रक्षेत्र पर लगभग आधे एकड़ क्षेत्रफल में भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय, पूर्णिया के मखाना वैज्ञानिक डाॅ अनिल कुमार के तकनीकी मार्गदर्शन में मखाना की खेती की गयी थी. परिणाम काफी उत्साहवर्द्धक है. केवीके सबौर के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डाॅ राजेश कुमार ने इस वर्ष भागलपुर जिले के चयनित प्रगतिशील कृषकों के यहां मखाना की खेती का प्रत्यक्षण करने का निर्णय लिया. जिसके लिए बड़े पैमाने पर सबौर मखाना-1 बीज के पौधशाला की तैयारी कर ली गयी है.मखाना में पहली बार बायोएक्टिव यौगिक एन 2-आयोडोफेनिल सल्फोनामाइड की हुई है पहचान
बीएयू के कुलपति डाॅ डीआर सिंह ने कहा कि भागलपुर ही नहीं बिहार के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों में भी बेकार पड़े जलजमाव वाले क्षेत्रों की उत्पादन, उत्पादकता एवं लाभप्रदता के साथ-साथ स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए मखाना आधारित तकनीक सबसे उपयुक्त है. इस कार्य के लिए बीएयू देश में अग्रणी भूमिका निभाने में सक्षम है. वीसी ने बताया कि विश्वस्तरीय प्रयोगशाला हमारे यहां कार्यरत है, जिसमें पहली बार मखाना में एक अनोखे बायोएक्टिव यौगिक एन 2-आयोडोफेनिल सल्फोनामाइड की पहचान की गयी है. इसमें अपार औषधीय गुण पाये जाते हैं.
कहलगांव व सुलतानगंज में पांच हेक्टेयर मे होगी मखाना की खेती
मार्च में पौधे की रोपाई चयनित प्रगतिशील कृषकों से करायी जायेगी. जिसमें कहलगांव के कैरिया गांव के विभू दुबे, सुलतानगंज प्रखंड के बाथ गांव के भास्कर पांडे एवं निरंजन कुमार के यहां लगभग पांच हेक्टेयर क्षेत्रफल में मखाना का खेती होना है. आने वाले वर्षों में बड़े पैमाने पर भागलपुर के जलजमाव वाले क्षेत्र में मखाना की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा.
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