राज्य स्कीम के तहत पशुपालन विभाग देगा प्रशिक्षण
गाय के गोबर का उपयोग ग्रामीण परिवेश में प्राय: ईंधन या खाद के रूप में किया जाता रहा है, जबकि इसका उपयोग रोजगार के दृष्टिकोण से भी किया जा सकता है. इससे अगरबत्ती, दीया, मूर्ति, गमला, राखी, ईंट आदि का निर्माण किया जा सकता है. लेकिन इस रूप में उपयोग करने का कौशल चंद लोगों के पास ही है. इसे ध्यान में रखते हुए पशुपालन विभाग ने निर्णय लिया है कि ग्रामीण परिवेश में घरेलू महिलाओं को इसका प्रशिक्षण देकर कौशल विकसित किये जायेंगे. प्रशिक्षण की जिम्मेदारी संबंधित संस्थानों को दी जायेगी. प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली महिलाएं आर्थिक रूप से स्वावलंबी बन सकेंगी. इसकी जानकारी विभाग की अपर सचिव गीता सिंह ने जिला पशुपालन पदाधिकारी को दी है.महिलाओं को उत्पाद तैयार करने व बेचने का मिलेगा प्रशिक्षण
यह स्कीम वित्तीय वर्ष 2025-26 में लागू होगी. उत्पादों के निर्माण के साथ इसकी मार्केटिंग का भी प्रशिक्षण ग्रामीण महिलाओं को दिया जायेगा. ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर सीमित हैं. उन्हें रोजगार से जोड़ने के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किया जायेगा.
योजना का उद्देश्य
गाय के गोबर से अनेक प्रकार के मूल्यवर्धित उत्पाद तैयार करना, इसकी विधि बताने के लिए ग्रामीण को जागरूक बनाना, ग्रामीण महिलाओं में उद्यमिता को बढ़ावा देना, महिलाओं की आय के स्रोत का सृजन करना है.
18 से 50 वर्ष की महिलाएं होंगी शामिल
प्रशिक्षण कार्यक्रम में 18 से 50 वर्ष की आयु वर्ग की आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाना प्रस्तावित है. प्रशिक्षण के लिए विधवा, परित्यक्ता, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को प्राथमिकता दी जायेगी. प्रशिक्षणार्थियों के उत्पादों की बिक्री के लिए स्थानीय बाजार, मेला, सरकारी संस्थानों, ऑनलाइन बाजार आदि से संबद्ध कराया जायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

