–बिहार सरकार के सात निश्चय योजना के तहत होगा अलग-अलग हिस्सों में 22 हेक्टेयर चौर का विकास
उपमुख्य संवाददाता, भागलपुर
जिले के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न जगहों पर स्थित निजी चौर का विकास किया जायेगा. इसके लिए मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा 22 एकड़ में विकास का लक्ष्य रखा गया है. इस पर संबंधित चौर मालिकों को 1.07 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जायेगा. राज्य सरकार के आत्म-निर्भर बिहार के सात निश्चय-टू (2020-2025) के स्वच्छ गांव-समृद्ध गांव के तहत विकास का काम होगा. चिह्नित व स्वीकृति के तहत इस योजना को लागू करने का प्रस्ताव है. निजी चौर भूमि को विकसित कर मत्स्य पालन योग्य बनाया जाना है. इससे मत्स्य उत्पादन व उत्पादकता में वृद्धि के साथ-साथ किसानों की आमदनी में भी वृद्धि हो सकेगी. चौर में मछली पालन के साथ-साथ कृषि, बागवानी व कृषि वानिकी भी लागू की जायेगी.ये मिलेंगे लाभ
–बिना काम के पड़ी निजी चौर की जमीन का उपयोग मछली पालन व अन्य कृषि उत्पादन के लिए होगा.–मछली उत्पादन के साथ-साथ भू-जल स्तर में भी बढ़ोतरी हो सकेगी.–किसानों को रोजगार मिलने के साथ-साथ उनकी आय में वृद्धि होगी.
ऐसा होगा चौर का मॉडल
निजी चौर भूमि के विकास के लिए तीन मॉडल प्रस्तावित हैं. इन मॉडलों के तहत तालाब का निर्माण किया जायेगा और निकाली गयी मिट्टी से बांध व संलग्न भूमि का भराव किया जायेगा. लाभुक की इच्छा के अनुसार एक हेक्टेयर रकवा में न्यूनतम एक व अधिकतम चार तालाब का निर्माण किया जायेगा. स्थल चयन उच्चतम बाढ़ स्तर को ध्यान में रखते हुए किया जायेगा.70 प्रतिशत तक मिलेगा अनुदान
चौर विकास के लिए सब्सिडी की राशि अन्य वर्ग के लाभुकों को 50 प्रतिशत, अति पिछड़ा जाति, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लाभुकों को 70 प्रतिशत दी जायेगी. वहीं, उद्यमी आधारित चौर विकास में सब्सिडी की राशि 40 प्रतिशत होगी. कृषि, बागवानी व कृषि वानिकी के साथ विकास की स्थिति में इन अवयवों के लिए संबंधित विभाग से सब्सिडी अलग से मिलेगी. औसत इकाई लागत 8.70 लाख प्रति हेक्टेयर का आकलन किया गया है. मत्स्य निदेशालय द्वारा किसानों से ऑनलाइन आवेदन लिये जायेंगे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है