नाथनगर : बिहार में भागपलपुर के नाथनगर में विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र के छोटी साहेबगंज निवासी संजय यादव उर्फ गन्ना उम्र 20 साल, पिता विशुन देव यादव पिछले सात सालों से एक टूटी-फूटी खाट पर पड़ा है. अब तो उसके हाथ भी टेढ़े होने लगे हैं. पैर सूख कर सूखी टहनी जैसा हो गया है. पिछले सात सालों से वह बिस्तर से उठ कर खड़ा होना चाहता है, पर उठ नहीं पाता. वह हर पल कहता है कि कोई ऐसा फरिश्ता आयेगा और उसका इलाज करवा देगा, ताकि वह फिर से सामान्य लोगों की तरह जमीन पर खड़ा हो सके और अपनी बाकी जिंदगी एक सामान्य व्यक्ति की तरह जी सके.
संजय के दो भाई और छह बहन हैं. संजय के पिता ठेला पर आइसक्रीम बेचते हैं. उस गरीब नि:सहाय पिता के पास इतने रुपये नहीं है कि वह अपने बेटे को कहीं बाहर ले जाकर इलाज करवा सके. नि:सहाय पिता कई जगह अपने बेटे का इलाज करवाने के लिए कई अधिकारियों- नेताओं का चक्कर लगा चुके हैं, पर उनकी विनती अब तक किसी ने नहीं
सुनी. अब उस नि:सहाय पिता को सिर्फ ऊपरवाले का ही सहारा रह गया है.
क्या हुआ था संजय को
संजय यादव उर्फ गन्ना ने बताया कि साल 2010 में वह क्रिकेट खेलने टीएनबी कॉलेज स्टेडियम टीएचसी पिच पर गया था. वहां पर क्रिकेट खेलने के दौरान गांव के ही कुछ लोगों से उसकी नोकझोंक हो गयी थी. इसको लेकर वहीं पर कुछ लड़कों ने संजय यादव उर्फ गन्ना को बुरी तरह पीट दिया गया था. जब वह होश में आया तो उसने खुद को जवाहरलाल नेहरू अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में भरती पाया. वहां उसके शरीर का कोई अंग काम नहीं कर रहा था.
रुपये के अभाव के कारण नहीं हो सका इलाज
संजय उर्फ गन्ना के पिता विशुनदेव यादव बताते हैं कि संजय को बेहतर इलाज के लिए जेएलएनएमसीएच से पटना रेफर कर दिया गया था. वहां उसका कुछ दिनों तक इलाज हुआ. उसके ऑपरेशन के लिए डॉक्टरों ने पांच लाख रुपये खर्च बताया. संजय के पिता के पास इतने रुपये नहीं रहने की वजह से बिना ऑपरेशन कराये ही संजय को वे घर ले आये. वर्तमान में संजय उर्फ गन्ना जिंदा लाश बनकर छोटी साहेबगंज स्थित झोपड़ी में टूटी-फूटी खाट पर अपनी मौत का इंतजार कर रहा है.