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डॉक्टरों ने सीखा बिना चीरा पथरी निकालने का आॅपरेशन

जेएलएनएमसीएच के सर्जरी विभाग में इंडो-यूरोलॉजी पर हुआ लाइव आपरेटिव वर्कशाप भागलपुर : जेएलएनएमसीएच के सर्जरी विभाग के आपरेशन थिएटर में इंडो यूरोलॉजी पर आयोजित लाइव आपरेटिव वर्कशॉप में यहां के सर्जनों से सीखा कि कैसे बिना चीरा-टांका लगाये शरीर के विभिन्न हिस्सों से स्टोन(पथरी) निकाला जाये. चिकित्सकों के इस ज्ञान का उपयोग पथरी से […]

जेएलएनएमसीएच के सर्जरी विभाग में इंडो-यूरोलॉजी पर हुआ लाइव आपरेटिव वर्कशाप

भागलपुर : जेएलएनएमसीएच के सर्जरी विभाग के आपरेशन थिएटर में इंडो यूरोलॉजी पर आयोजित लाइव आपरेटिव वर्कशॉप में यहां के सर्जनों से सीखा कि कैसे बिना चीरा-टांका लगाये शरीर के विभिन्न हिस्सों से स्टोन(पथरी) निकाला जाये. चिकित्सकों के इस ज्ञान का उपयोग पथरी से लेकर प्रोस्टेट की बीमारी से जूझ रहे लोगों के इलाज के लिए जल्द ही मायागंज हॉस्पिटल में किया जायेगा. अगर यहां पर हॉस्पिटल प्रशासन ने जरूरी मशीन मुहैया करा दिया तो इसके मरीजों को अब इलाज के लिए पटना, कोलकाता या दिल्ली नहीं जाना पड़ेगा. टाटा मेन हॉस्पिटल जमशेदपुर व यूसीकॉन इस्ट जोन के सचिव डॉ हर्षप्रीत सिंह ने यूआरएस के दो मरीज क्रमश: विक्की जायसवाल व निशा कुमारी का आपरेशन किया.
इस आपरेशन के तहत मरीज के किडनी व पेशाब वाली नली के बीच में स्टोन (पथरी) फंस जाता है. इन दोनों मरीजों का आपरेशन दूरबीन से करते हुए बिना चीरा-टांका लगाये पथरी को तोड़ कर बाहर निकाल लिया गया. इस विधि से आपरेशन के बाद मरीज एक-दो दिन में पूरी तरह से स्वस्थ होकर अपने घर चला जाता है. तीसरे व चौथे मरीज दीपक व नूतन के पीसीएनएल का आपरेशन किया गया. पीसीएनएल के मरीज में उसके किडनी में स्थित बड़े आकार के पत्थर को दूरबीन विधि से तोड़कर उसे पेशाब नली के जरिये बाहर निकाल दिया जाता है. इसमें भी मरीज एक-दो दिन में अपने घर चला जाता है.
टीयूआरपी का आपरेशन मरीज रमेंद्र व महेंद्र का किया. इसके मरीज का प्रोस्टेट बढ़ जाता है. इसके आपरेशन में मरीज के बढ़े प्रोस्टेट को दूरबीन विधि के जरिये निकाल लिया गया. चीरा-टांका न लगने से मरीज एक-दो दिन में ही रिकवर कर लेता है. अंतिम मरीज नरेश का सिस्टोस्कोपी विधि से आपरेशन किया गया. सिस्टोस्कोपी उन मरीजों का किया जाता है, जिनके पेशाब की थैली में कोई बीमारी हो या फिर पथरी हो. इसमें दूरबीन विधि से पथरी को तोड़कर पेशाब नली के जरिये बाहर निकाल दिया जाता है. इसमें भी मरीज का चीरा-टांका नहीं लगता है. आपरेशन के दौरान सहायक सर्जन की भूमिका डॉ राजन ने निभायी. जबकि कार्यशाला में विभाग के हेड प्रो उपेंद्र नाथ, डॉ बीके जायसवाल, डॉ पीके बजाज, डॉ पंकज कुमार समेत करीब 50 चिकित्सक मौजूद रहे.
मायागंज के सर्जरी विभाग में आयोजित लाइव ऑपरेटिव वर्कशॉप.
यह है बीपीएच के लक्षण
इस रोग में बार-बार पेशाब आना, पेशाब में जलन, खून निकलना, अचानक पेट के नीचे दर्द हाेना इसका प्रमुख लक्षण है. डॉ हर्ष के अनुसार प्रोस्टेट की दिक्कत की ओर अगर फौरन ध्यान नहीं दिया गया तो मामला जटिल हो सकता है. मूत्र थैली में पेशाब जमने से यूरिन इनफेक्शन हो सकता है. मूत्र थैली में स्टोन होने की संभावना होती है.
हाइड्रोनेफ्रोसिस नामक समस्या भी हो सकती है. किडनी का कार्य बाधित हो सकता है. इसलिए ऐसी कोई भी समस्या होने पर फौरन डॉक्टर के साथ संपर्क करना चाहिए. डॉ हर्ष ने कहा कि बीपीएच को दवा से भी नियंत्रित किया जा सकता है. डॉक्टर के निर्देशानुसार दवा लेने से इस रोग का इलाज संभव है. जिन पर दवा कारगर नहीं होती है,
उन्हें सर्जरी करानी पड़ती है. लेजर की सहायता से बिना किसी चीरफाड़ के ऑपरेशन किया जा सकता है, जिससे रोगी फौरन स्वस्थ होने लगता है. प्रोस्टेट ऑपरेशन के लगभग डेढ़ महीने के बाद ही रोगी स्वभाविक जीवन में लौट जाता है. इसके पूर्व वरिष्ठ चिकित्सक डॉ एसएन झा ने सीएमइ का दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया.

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