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bhagalpur news. जिले में बाढ़ से 24 हजार हेक्टेयर में लगी फसल बर्बाद

जिले में बाढ़ से 24 हजार हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई.

-कृषि विभाग ने किया आकलन, उद्यान विभाग अभी तक नहीं कर पाया है आकलनबाढ़ से जिले में 24 हजार हेक्टेयर में लगी फसल की बर्बादी हुई. कृषि विभाग की ओर से बाढ़ग्रस्त प्रखंडों में आकलन के बाद यह जानकारी दी गयी है. इधर, उद्यान विभाग की ओर से किसी तरह का आकलन नहीं किया जा सका है. जिला कृषि पदाधिकारी प्रेमशंकर प्रसाद ने बताया कि गंगा का जलस्तर घटने के साथ ही फसल क्षति का आकलन शुरू कर दिया गया था.

पीरपैंती व कहलगांव में सबसे अधिक क्षति

जिले में 77 पंचायतों में बाढ़ का पानी घुसा था. इसमें कहलगांव, सबौर, गोराडीह, नाथनगर, शाहकुंड, सुल्तानगंज, पीरपैंती में बाढ़ से फसल की क्षति हुई. सबसे अधिक पीरपैंती व कहलगांव में क्रमश: 17 व 22 पंचायत में बाढ़ के पानी से फसल को क्षति पहुंची. विभाग की ओर से नवगछिया अनुमंडल में बाढ़ से फसल क्षति का आकलन नहीं किया गया है. विभाग का मानना है कि दियारा क्षेत्र व अन्य हिस्सों में प्राय: आपदा आती है. बाढ़ के पानी से उद्यानिक फसल को अधिक क्षति पहुंची है. ऐसे में इन क्षेत्रों को सामान्य क्षेत्र के रूप में दर्शाया गया है.

वैकल्पिक फसल योजना के तहत किसानों को मिलेगा बीज

कृषि विभाग के कर्मचारियों की मानें तो बाढ़ग्रस्त किसानों को आपदा के तहत 7000 रुपये तक जीआर मिल रहा है. विभाग की ओर से रवि मौसम में बीज मिलेगा. जिला कृषि पदाधिकारी प्रेमशंकर प्रसाद ने बताया कि वैकल्पिक फसल योजना के तहत किसानों को बीज देने के लिए प्रस्ताव मुख्यालय को भेजा गया है. मुख्यालय से बीज उपलब्ध होने के बाद दियारा क्षेत्र समेत अन्य बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में सब्जी, उड़द आदि के बीज बांटे जायेंगे. वैकल्पिक फसल से इसकी क्षतिपूर्ति की जायेगी. वैकल्पिक फसल के तौर पर तोरिया, मकई आदि का बीज उपलब्ध होने पर दिया जायेगा. इधर, जिला उद्यान पदाधिकारी मधुप्रिया ने बताया कि बाढ़ग्रस्त प्रखंडों के उद्यान विभाग के पदाधिकारी व कर्मी को क्षति का आकलन करने का निर्देश दिया गया है. अभी पानी नहीं निकला है, जिससे आकलन नहीं हो पा रहा है. इसके विपरीत उद्यानिक फसलों के किसान लगातार उद्यान विभाग से मदद की गुहार लगा रहे हैं. सुल्तानगंज के किसान अशोक चौधरी के नर्सरी में केवल एक लाख से अधिक आम के पौधे मर गये. इसके अलावा महोगनी व सागवान के एक लाख पौधे मर गये.

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