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खुद तोड़ रहे अपना आशियाना

भागलपुर : गंगा की दिशा बदलते ही पीरपैंती प्रखंड के रानी दियारा गांव का नामोनिशान मिटने लगा है. रोज गांव की एक कट्ठा जमीन कटाव में जा रही है. अब तक आधा से ज्यादा गांव कट चुका है. कटाव की तेजी का रोज-रोज आकलन करनेवाले ग्रामीण बताते हैं कि गंगा की रफ्तार यही रही, तो […]

भागलपुर : गंगा की दिशा बदलते ही पीरपैंती प्रखंड के रानी दियारा गांव का नामोनिशान मिटने लगा है. रोज गांव की एक कट्ठा जमीन कटाव में जा रही है. अब तक आधा से ज्यादा गांव कट चुका है. कटाव की तेजी का रोज-रोज आकलन करनेवाले ग्रामीण बताते हैं कि गंगा की रफ्तार यही रही, तो जल्द ही रानी दियारा गांव भागलपुर के मानचित्र से गायब हो जायेगा.

दहशत का आलम यह है कि खुद अपने हाथों बरसों की मेहनत से बनाये अपने घरौंदे को ग्रामीण खुद तोड़ रहे हैं. इतने पैसे भी नहीं कि बाहर से कोई मजदूर लायें. खुद ही सपरिवार लगे हैं घर तोड़ने में.
तिनका-तिनका जोड़ आशियाना बनानेवाले हाथ तोड़ने के दौरान लहूलुहान हो रहे. हाथों पर कपड़ा बांध कर घर तोड़ रहे, ताकि जहां भी जाएं कुछ तो बचा कर ले जाएं. लोगों में गंगा के प्रति नाराजगी नहीं, पर अपना होने का दावा करनेवाले नेता और अधिकारियों की बेरुखी उनकी जान ले रही.
एक स्कूल कट गया, दूसरा कटाव में लटक रहा
बताया कि एक माह में गांव के तकरीबन 300 घर गंगा में समा चुके हैं. पिछले 10 दिनों में दो शिक्षण संस्थानों में एक मिडिल स्कूल गंगा में विलीन हो गया, तो कन्या पाठशाला का अब आधा भाग ही बचा है. बचा हुआ भाग गंगा में लटक रहा है. एक प्राइमरी स्कूल बचा है, पर उसके पास भी जमीन में दरार पड़ गयी है. मतलब यह स्कूल भी अलाॅर्मिंग टाइम पर पहुंच गया है. कुछ लोगों ने घर बह जाने के बाद स्कूल में शरण ली थी, वो भी जहां-तहां जाने लगे हैं. धार्मिक स्थलों में मां काली और बजरंगबली का मंदिर गंगा में समा गये हैं. हालत यह है कि सोने से पहले और जगने के बाद हर पल सब गंगा मइया से गुहार लगाते दिखते हैं.
गांव में अब बच गये हैं 500 घर:
रानी दियारा गांव में अब 500 के करीब घर रह गये हैं. कटाव नजदीक आने से दर्जनों घर खाली हो गये और उसे ग्रामीणों ने तोड़ दिया है, ताकि उसकी ईंट से कहीं दृर जाकर घर बसा सकें.
बीमार लोगों को नहीं मिल रही दवा:
बीमार लोगों को दवा नहीं मिल रही है. उमेश मंडल की मां व पत्नी बीमार है. बगलगीर ने घर खाली करना शुरू कर दिया है. वह इस बात से दुखी हैं कि पहले घर-परिवार को बचाएं या सामान. हिम्मत टूटती जा रही है.

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