भागलपुर: बिहारमेंभागलपुर के नाथनगर में बाढ़ में इनके गांव और घर भले ही डूब गये, लेकिन रामलीला में अपना किरदार निभाने वाले इन कलाकारों की आस्था की लौ तनिक भी मद्धिम न हुई. नाथनगर के अजमेरीपुर बैरिया के रहने वाले ये कलाकार बाढ़ की विभीषिका झेलने के बाद भी रोजाना नाथनगर पहुंच रामलीला में अपनी कला को जीवंत कर रहे हैं. किरदार अदायगी के बाद इनका अस्थायी ठिकाना महाशय ड्योढ़ी का बाढ़ राहत शिविर बनता है, जहां ये अपने परिवार और पूरे गांव के लोगों के साथ आसरा लिए हैं.
फिलहाल बेघर हो चुके रावण (विनोद मंडल) को रामलीला में अपना किरदार निभाने के बाद खेत में लगी अपनी फसल के डूब जाने की चिंता सताती है. सुबह होते ही वे इस उम्मीद में अपने साथियों के साथ दूर से ही गांव निहार आते हैं कि कहीं आज बाढ़ का पानी कुछ कम हुआ होगा. फिर मायूस हो अपने परिवार के पास राहत कैंप लौट आते हैं.
इधर, दशरथ (चरण मंडल), परशुराम (सुभाष दास), जनक (उमाकांत दास) और रामलीला के डायरेक्टर (राजू) को डूबे गांव और खेत के साथ दिहाड़ी मजदूरी न मिलने की चिंता खाये जा रही है. जबकि, रामलीला से फुर्सत मिलते ही हनुमान (बिजो मंडल) राहत शिविर पहुंचकर अपनी गायों को चारा देने और उनकी देखभाल में जुट जाते हैं.
सीता के सिर परीक्षा की ‘अग्नि परीक्षा’
बाढ़, राहत शिविर की बदहाली और रामलीला में किरदार अदायगी से इतर, सीता माता (सौरव) की मुश्किलें भी कम नहीं हैं. सीता का किरदार निभा रहा सौरव मौजी लाल झा कॉलेज में इंटर फर्स्ट इयर का छात्र है और उसे अब इन सबसे जूझ कर जनवरी-फरवरी में होने वाली परीक्षा की ‘अग्नि परीक्षा’ में पास होने की चिंता है.
पॉलिटेक्निक की तैयारी में जुटे राम
कटिहार से पॉलीटेक्निक कर रहे राम (सुखनंदन) इन दिनों नाथनगर में कमरा लेकर रह रहे हैं. बाढ़ से गांव-घर पहले ही डूब चुका है और पूरा परिवार भी राहत शिविर में है. ऐसे में पॉलिटेक्निक की तैयारी के साथ रामलीला में किरदार अदायगी के लिए उनकी जद्दोजहद और बढ़ गयी है.