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उठो…उठो… हो सर जी! ट्रेन में सोये लोगों से कंबल छीन रहे हैं रेलवे कर्मचारी, ठिठुर रहे यात्री

-रोज-रोज किचकिच. रेलवे के नियम व कर्मियों के व्यवहार से ठंड में यात्री हैं परेशान -रेलवे ने कहा आधा घंटा पहले लो, अटेंडेंट घंटा भर पहले ही सोये यात्रियों से छीन रहे कंबलभागलपुर : ट्रेन में लंबी दूरी की यात्रा के दौरान यात्रियों को एसी कोच में कंबल की सुविधा तो मिलती है, लेकिन यह […]

-रोज-रोज किचकिच. रेलवे के नियम व कर्मियों के व्यवहार से ठंड में यात्री हैं परेशान

-रेलवे ने कहा आधा घंटा पहले लो, अटेंडेंट घंटा भर पहले ही सोये यात्रियों से छीन रहे कंबल
भागलपुर : ट्रेन में लंबी दूरी की यात्रा के दौरान यात्रियों को एसी कोच में कंबल की सुविधा तो मिलती है, लेकिन यह सुविधा देकर भी स्टेशन पहुंचने के घंटे भर पहले कंबल छीन ले रहे हैं. रेलवे कर्मी सोये यात्रियों को जगा कर कंबल देने को मजबूर करता है. यह भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है कि यात्री ठंड में आगे घंटे भर की सफर कैसे पूरा करेंगे.

शनिवार को कुछ ऐसा ही वाकया वनांचल एक्सप्रेस के यात्रियों के साथ हुआ. रेलवे कर्मियों के व्यवहार से एसी के यात्री को हैरानी हुई, जब उन्हें स्टेशन पहुंचने के घंटे भर पहले जगा दिया और कंबल देने को कहा गया. रेलवे का नियम बताता है कि स्टेशन पहुंचने के आधा घंटा पहलेयात्रियों से कंबल लिया जाये. कोच अटेंडेंट अपनी सुविधा को देख घंटे भर पहले यात्रियों से कंबल छीन ले रहे हैं.

क्या है रेलवे का नियम

रेलवे आपका स्टेशन आने से आधे घंटे पहले ही आपसे कंबल-चादर वापस लेगा. इससे पहले कोई मजबूर नहीं कर सकता. दरअसल, कंबल, तकिये, चादर आदि की चोरी रोकने के लिए यह कदम उठाया है. रेलवे के इस नियम के विपरीत जाकर कोच अटेंडेंट घंटे भर पहले यात्रियों से कंबल छीन ले रहे हैं.

रेलवे का कुतर्क
रेलवे अधिकारी का कहना है कि कंबल की चोरी होती है. इसलिए यात्रियों से पहले ही ले लिया जाता है. उनके इस कुतर्क से यात्रियों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है. ठंड में यात्रा करने को मजबूर होना पड़ रहा है. जबकि, कंबल की चोरी करने वाले इक्के-दुक्के यात्री होते हैं, जिसे रोका जा सकता है. देखा जाये, तो यात्रा पूरी होने के बाद यात्री खुद सभी सामान अपनी सीट पर छोड़ कर चले जाते हैं. कोच में तैनात कर्मचारी सभी सामान उठाकर ले जाता है. रेलवे के फरमान से रेल यात्री हैरान-परेशान हैं.

हो सर जी, हमरौ उतरना छै देरी नाय करो, जल्दी दअ कंबल: उठो…उठो… हो सर जी. स्टेशन आभी गेलै. जल्दी-जल्दी आपनो-आपनो कंबल दअ. देरी नाय करो. हमरौ उतरना छै. इस तरह वातानुकूलित श्रेणी कोच में कोच अटेंडेंट आकर धमकता है. स्टेशन आने में घंटे भर देरी पर यात्रियों द्वारा आपत्ति जतायी गयी, मगर उनका दो टूक जवाब यह रहा कि है नियम हमरो बनैलअ नाय छेकै. रेल नअ नियम बनलअ छै घंटा भर पहले कंबल लै रअ. कैन्ह कि कंबल चोराय लै छै. जल्द दअ देरी नाय करो.

इधर, स्लीपर कोच के यात्रियों को भी कंबल देने की तैयारी
रेलवे अब स्लीपर कोच के यात्रियों को भी कंबल देने की तैयारी में है. यह मुमकिन हुआ, तो यह सुविधा ऑन लाइन उपलब्ध रहेगी. स्लीपर क्लास का यात्री ऑनलाइन बुकिंग करा के इस सुविधा का लाभ उठा सकेगा. एसी के यात्रियों की तरह स्लीपर में भी यात्रा सुखद हो जायेगी.

कंबल चोरी हो जाता है और कोच अटेंडेंट को पेनाॅल्टी भरनी पड़ती है. इसलिए, स्टेशन पहुंचने से पहले यात्रियों से कंबल लिया जाता है. रेलवे का गाइड लाइन है कि स्टेशन पहुंचने के आधे घंटे पहले यात्रियों से कंबल लिया जाये. ऐसे भी एक्रीडेशन जिन यात्रियों का जिस स्टेशन तक के लिए है, उनसे ही कंबल लिया जाता है.
नवीन कुमार बेडरोल इंचार्ज, भागलपुर रेलवे

Prabhat Khabar Digital Desk
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