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अमृतसर हादसे की कहानी बिहार निवासी चश्मदीद की जुबानी, बीच भाषण किसी ने रावण में लगा दी आग, फिर…

भागलपुर (संवाददाता): मंच पर कांग्रेस नेत्री नवजोत कौर सिद्धू , प्रधान समेत दर्जनों लोग बैठे थे. माइक पर नेता भाषण दे रहे थे. अचानक अस्सी फिट लंबा रावण पटाखा के साथ जलने लगा. हमलोग मंच के पास खड़े थे. पटाखा और रावण की आग से बचने के लिए भागने लगे. तभी तेज आवाज के साथ […]

भागलपुर (संवाददाता): मंच पर कांग्रेस नेत्री नवजोत कौर सिद्धू , प्रधान समेत दर्जनों लोग बैठे थे. माइक पर नेता भाषण दे रहे थे. अचानक अस्सी फिट लंबा रावण पटाखा के साथ जलने लगा. हमलोग मंच के पास खड़े थे. पटाखा और रावण की आग से बचने के लिए भागने लगे. तभी तेज आवाज के साथ कुछ पल में पटरी से दो ट्रेन गुजर गयी. भगदड़ के बाद अपने परिवार के भाई, भतीजे और भाभी की तलाश में हम जोड़ा फाटक के समीप किराये के कमरे तक गये. वहां हमें कोई नहीं मिला. पटरी पर बिखरी लाश के बीच हम अपने परिवार को खोजने लगे. यह कहना था अमृतसर हादसे में बाल-बाल बचे बिहार में भागलपुर के सबौर निवासी राकेश कुमार का.

आगे ये कहते है नवजोत कौर छह बजे आयी थी सात बजे तक भाषण जारी था. भाषण के बीच अचानक किसी ने रावण में आग लगा दी. तेज आवाज गूंज रहा था. आवाज थमते ही हमारा सब कुछ तबाह हो चुका था. आगे राकेश कहते है सरकारी स्तर पर हमें सहायता मिल रह है. सरकारी अस्पताल में भाभी आरती देवी को ले जाया गया. यहां इनका इलाज बेहतर तरीके से हो रहा है. चिकित्सक लगातार आ रहे हैं दवा, जांच मुफ्त हो रहा है. हादसे मेंं मृतक जितेंद्र दास और एक साल के इनके पुत्र शिवम का पोस्टमार्टम हो चुका हैं. शव को सुरक्षित अस्पताल में ही रखा गया है. जितेंद्र के परिवार वाले छह बजे तक जोड़ा फाटक आ चुके हैं. सभी मिल जुल कर लाश का अंतिम संस्कार यहां करना है या भागलपुर लेकर जाना है इसका निर्णय लेंगे. यहां की सरकार अब तक हमारी मदद कर रही हैं.

अभी हम सभी परेशान है इसलिए मुआवजा के लिए कोई कागजात जमा नहीं किया गया है. अंतिम संस्कार के बाद हम लोग पहल करेंगे. भाभी का इलाज हरतेज अस्पताल में किया जा रहा है. यहां सिर्फ हम लोग ही है बाकी का इलाज सदर अस्पताल में किया जा रहा है. अभी यहां शांति कायम हैं किसी तरह की कोई बात नहीं है. आम लोग भी हमारी मदद कर रहे है.

सदमे में परिवार, गांव में नहीं जले चूल्हे

सबौर (भागलपुर). प्रखंड के ममलखा चायचक के जितेंद्र दास व उसके पुत्र शिवम की मौत का मातम महादलित टोले में रविवार को भी देखने को मिला. पूरे टोले की महिला, पुरुष व बच्चे सभी मृतक के घर दिखे और मोबाइल पर पल पल की जानकारी लेते रहे. अमृतसर हादसे में इस घर के दो चिराग सदा के लिए बुझ गये हैं. मां, बहन और भाभी का रो-रो कर बुरा हाल है. रोते-रोते मां बदहवास हो जाती है. पूरे मोहल्ले में शोक के कारण चूल्हा नहीं जला. मृतक के पिता सहित अन्य परिजन अमृतसर देर शाम पहुंच गये और वहां का नजारा देख भौंचक्क रह गये. ममलखा पंचायत के राकेश कुमार ने बताया कि अमृतसर में शव का अंतिम दाह संस्कार की व्यवस्था की जा रही है. कानूनी कार्रवाई पूरा कर सोमवार को दाह संस्कार करने पर विचार हो रहा है. घायल आरती का स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है. जब भी वह होश में आती है, तो बच्चे को खोजती है. इस सदमें से पूरा परिवार टूट चुका है.

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