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दिवेश सिंह हत्याकांड: निबंधन विभाग ने इंस्पेक्टर को दी गलत सूचना

भागलपुर: दिवेश सिंह हत्याकांड में अधिकारी और भू-माफिया गंठजोड़ का भी खुलासा हुआ है. जमीन रजिस्ट्री (जिस जमीन को लेकर दिवेश की हत्या हुई) के संबंध में जब कोतवाली इंस्पेक्टर सह केस के जांच अधिकारी कन्हैया लाल ने निबंधन विभाग को पत्र लिख कर जमीन रजिस्ट्री के संबंध में विधि के प्रावधानों की जानकारी मांगी […]

भागलपुर: दिवेश सिंह हत्याकांड में अधिकारी और भू-माफिया गंठजोड़ का भी खुलासा हुआ है. जमीन रजिस्ट्री (जिस जमीन को लेकर दिवेश की हत्या हुई) के संबंध में जब कोतवाली इंस्पेक्टर सह केस के जांच अधिकारी कन्हैया लाल ने निबंधन विभाग को पत्र लिख कर जमीन रजिस्ट्री के संबंध में विधि के प्रावधानों की जानकारी मांगी तो विभाग की ओर से पुलिस को गलत सूचना उपलब्ध करा दी गयी.

यह खुलासा जोनल आइजी जितेंद्र कुमार की समीक्षा रिपोर्ट में हुआ है. दरअसल, जिस जमीन को लेकर दिवेश सिंह की हत्या हुई, उस जमीन की रजिस्ट्री को लेकर आइजी ने सवाल उठाया था. जब जमीन की रजिस्ट्री दीपक भुवानियां के नाम से हुई थी, उस समय जमीन पर टाइटिल शूट चल रहा था. ऐसे में विवादित भूमि की रजिस्ट्री विधि के प्रावधानों के विरुद्ध है.

विधि सम्मत तरीके से नहीं हुआ अंतरण : आइजी ने रिपोर्ट में कहा है कि इस निबंधन में जिला निबंधक कार्यालय, भागलपुर के कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध है. कर्मचारी विधि-विरुद्ध निबंधन में संलिप्त हैं. ऐसा निबंधन विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों ने इसलिए किया ताकि उनके द्वारा किये गये विधि-विरुद्ध कार्यो पर परदा पड़ा रहे और इसका खुलासा न हो. उक्त भूमि का अंतरण विधि सम्मत तरीके से नहीं किया गया. इसमें निबंधन विभाग के कर्मचारियों ने संपत्ति अंतरण अधिनियम-1882 की धारा 52 का उल्लंघन किया. इस निबंधन में विक्रयकर्ता कलावती देवी, शिवशंकर भगत व संजय कुमार सिन्हा ने इस जानकारी के बावजूद कि भूमि पर टाइटिल शूट लंबित है, जमीन का निबंधन कराया. इसके आधार पर संदोषता बनती है.

विवादित जमीन की हो गयी रजिस्ट्री : वाद के लंबन की अवधि के संबंध में भी स्पष्ट किया गया है कि यह सक्षम न्यायालय में वाद पत्र प्रस्तुत करने की तिथि से लेकर उस वाद की कार्रवाई के निबटान की अंतिम तिथि या आदेश तक लागू रहेगा. टाइटिल शूट (182/99) में वाद पत्र 21.07.99 को दायर किया गया और 30.08.99 से विधिवत कार्रवाई शुरू की गयी. इस प्रकार यह जमीन विवादित संपत्ति की श्रेणी में 30.08.99 से आ गयी. इसमें अंतिम आदेश 15.04.09 को दिया गया. इसके विरोध में वादी द्वारा पुनर्विचार आवेदन दायर किया गया. इस पर अंतिम निर्णय 16.12.09 को हुआ. जबकि जमीन की रजिस्ट्री 19.11.06 और 26.02.07 को भुवानियां के पक्ष में किया गया. इस दौरान जमीन पर टाइटिल शूट चल रहा था.

विभागीय सचिव को लिखें : रिपोर्ट
आइजी ने अपनी रिपोर्ट में एसएसपी को निर्देश दिया है कि निबंधन कार्यालय के संबंध में की गयी टिप्पणी को समावेशित करते हुए निबंधन विभाग के सचिव को कार्रवाई के लिए प्रतिवेदन भेजें, ताकि दोषी कर्मचारियों पर कार्रवाई हो सके.

हत्याकांड में हुआ नया खुलासा

जमीन रजिस्ट्री के संबंध में मांगी गयी सूचना निकली गलत

निबंधन विभाग के कर्मचारी की

भूमिका संदिग्ध

कर्मचारियों ने किया कानून के विरुद्ध काम

निबंधन विभाग के कर्मचारियों पर गिर सकती है गाज

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