भागलपुर: प्रदेश मंत्रिमंडल में भागलपुर को कोई तरजीह नहीं दी गयी. जिला को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं मिलने के कारण यहां के विधायकों के साथ-साथ जदयू कार्यकर्ता भी निराश हैं. मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के शपथ ग्रहण के दिन ही भागलपुर से भी किसी विधायक को मंत्रिमंडल में स्थान मिलने के कयास लगाये जा रहे थे, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार में भी भागलपुर को उपेक्षित ही रखा गया.
भाजपा-जदयू गंठबंधन की सरकार में तत्कालीन नीतीश कुमार ने इस क्षेत्र को प्रतिनिधित्व दिया था और भागलपुर से भाजपा विधायक अश्विनी चौबे अपने पिछले दोनों ही कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री थे. पिछले वर्ष भाजपा और जदयू की राहें जुदा होने के बाद मंत्रिमंडल में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व नहीं रहा. हालांकि गोपालपुर के विधायक नरेंद्र कुमार नीरज उर्फ गोपाल मंडल विधानसभा में सचेतक अवश्य थे.
तभी से इस बात के कयास लगाये जा रहे थे कि मंत्रिमंडल विस्तार में एक बार फिर से इस क्षेत्र को समुचित स्थान दिया जायेगा,लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री कुमार ने मंत्रिमंडल का विस्तार ही नहीं किया. नीतीश कुमार के इस्तीफा देने व जीतन राम मांझी के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान भी इसके कयास लगाये जा रहे थे कि अंग क्षेत्र को मंत्रिमंडल में जगह दी जायेगी, लेकिन श्री मांझी ने भी शुरुआत में पुराने चेहरों पर ही भरोसा दिखाया.
बाद में उन्होंने मंत्रिमंडल विस्तार की घोषणा की तो सुलतानगंज, नाथनगर व गोपालपुर के विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल होने की उम्मीद बंधी और उन्होंने अपने तरीके से लॉबिंग भी शुरू की, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार के बाद भागलपुर की रही-सही आस भी टूट गयी. संभवत: लोकसभा चुनाव में जदयू प्रत्याशी की बुरी हार व जमानत तक नहीं बचा पाने का खामियाजा यहां के जदयू विधायकों को उठाना पड़ रहा है.