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प्रसूता को लेकर आशा चली गयी क्लिनिक, हो गयी मौत, हंगामा
भागलपुर : नाथनगर मसकंद बरारी निवासी अनुज कुमार दास अपनी गर्भवती पत्नी अंजू का प्रसव कराने सदर अस्पताल गुरुवार को पहुंचा. यहां बुनकर परिवार आशा कार्यकर्ता के चंगुल में फंस गया. अंजू की हालत को गंभीर बताते हुए सदर में उसका इलाज कराने से मना कर दिया और निजी क्लिनिक में लेकर चली आयी. इसकी […]
भागलपुर : नाथनगर मसकंद बरारी निवासी अनुज कुमार दास अपनी गर्भवती पत्नी अंजू का प्रसव कराने सदर अस्पताल गुरुवार को पहुंचा. यहां बुनकर परिवार आशा कार्यकर्ता के चंगुल में फंस गया. अंजू की हालत को गंभीर बताते हुए सदर में उसका इलाज कराने से मना कर दिया और निजी क्लिनिक में लेकर चली आयी.
इसकी बातों में आकर अनुज अपनी पत्नी के साथ तातारपुर लालकोठी स्थित डॉ शीतल कुमारी गुप्ता के क्लिनिक पहुंचा. शुक्रवार सुबह अंजू का प्रसव हुआ और दो घंटे के बाद दूसरे क्लिनिक में इसकी मौत हो गयी. घटना के बाद शनिवार को परिजन डॉ शीतल के क्लिनिक पहुंच हंगामा किया. मौके पर पहुंची तातारपुर पुलिस ने लोगों को शांत कराया. देर रात तक परिजनों ने चिकित्सक के खिलाफ थाने में आवेदन नहीं दिया था.
अनुज कुमार दास ने बताया कि, वह सदर अस्पताल में पत्नी का प्रसव कराने गये थे. वहां हमें गांव की आशा कार्यकर्ता संगीता देवी मिली. आशा ने कहा अंजू की हालत ठीक नहीं है, उसे खून की कमी है. इसका इलाज सदर में कराना ठीक नहीं होगा. दो हजार रुपये दो अंजू का बेहतर इलाज निजी क्लिनिक में करा देंगे. इसकी बातों में आकर उन्होंने पैसा दे दिया. शुक्रवार को डॉ शीतल के यहां पहुंचे. ऑपरेशन के बाद बेटा हुआ, लेकिन दो घंटे के बाद अचानक अंजू की हालत खराब हो गयी.
उसे क्लिनिक में भर्ती करा दिया गया. जहां उसकी मौत हो गयी. अनुज ने बताया चिकित्सक की लापरवाही से अंजू की मौत हुई है. उसके पेट का नस काट दिया गया. इससे अंजू के शरीर से खून निकलना बंद नहीं हुआ. चिकित्सक ऑपरेशन के पहले ही 25 हजार रुपये की मांग कर रहे थे. अंजू की हालत बिगड़ते ही आशा कार्यकर्ता भाग गयी.
डॉ शीतल ने बताया कि, अंजू के शरीर में खून की कमी थी. हमने पहले नार्मल डिलिवरी कराने का प्रयास किया. लेकिन नवजात का सिर फंस गया था. इसलिए सर्जरी जरूरी हो गया. इलाज में किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती गयी है. नवजात के जन्म के बाद अंजू ठीक थी. लेकिन अचानक उसकी हालत बिगड़ गयी.
पहले भी हो चुकी है ऐसी घटना
सदर अस्पताल से मरीज को निजी चिकित्सक के पास ले जाने का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी सदर अस्पताल से निजी चिकित्सक के पास मरीज को आशा लेकर गयी थी. इनकी नजर खास तौर पर शहर से बाहर के मरीजों पर रहती है.
बेहतर इलाज का झांसा देकर महज कमीशन के लिए यह खेल लगातार जारी है. पिछले दिनों भी एक मरीज को निजी क्लिनिक में ले जाने का प्रयास किया था. ऐन वक्त पर दूसरी आशा ने विरोध किया, तो मरीज को मायागंज अस्पताल में भर्ती कराया गया.
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