भागलपुर : शहर में साल भर बैंड-बाजे बजते हैं लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में सौ की भी शहनाई नहीं गूंजती. विवाह का कानूनी प्रमाण है मैरिज सर्टिफिकेट लेकिन इसको लेकर लोग उदासीन हैं. यही वजह है कि जिला अवर निबंधक कार्यालय में 2015 में 96, 2016 में 93, 2017 में 95 तो मार्च 2018 तक 17 शादियां ही संपन्न हुई हैं. मैरिज रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है. इसके बावजूद जनता में जागरूकता नहीं.
क्यों जरूरी है मैरिज सर्टिफिकेट: शादी के बाद बैंक में ज्वाइंट अकाउंट खुलवाने, स्पाउज वीजा हासिल करने, ज्वाइंट प्रॉपर्टी लेने जैसे तमाम कार्यों के लिए शादी का प्रमाण-पत्र जरूरी है. मैरिज सर्टिफिकेट कई तरह की परेशानियों से भी मुक्त कर सकता है. अगर शादी के बाद नाम या सरनेम नहीं बदलना चाहते, तो शादी से संबंधित सभी कानूनी अधिकार और लाभ दिलाने में इससे मदद मिलती है. पासपोर्ट बनाने, वीजा हासिल करने जैसे तमाम कार्यों के लिए वैवाहिक प्रमाण-पत्र की आवश्यकता होती है.
भागलपुर में किस साल कितने रजिस्ट्रेशन
साल कुल शादी शादी-शुदा कोर्ट मैरिज
2015 96 73 23
2016 93 77 16
2017 95 72 23
2018 19 17 2
कैसे हो पंजीकरण
हिंदू विवाह अधिनियम (1955) या विशेष विवाह अधिनियम (1954) में से किसी एक के तहत शादी को पंजीकृत किया जा सकता है. हिंदू विवाह अधिनियम केवल हिंदुओं पर लागू होता है, जबकि स्पेशल मैरिज एक्ट भारत के समस्त नागरिकों पर लागू होता है.
इन निर्देशों का करें पालन
जिस भी जगह रहते हों, वहां प्रशासन के दफ्तर से आवेदन-पत्र प्राप्त करें.
आवेदन-पत्र को सावधानी से भरें. सही-सही जवाब दें.
शादी के बाद नाम या सरनेम में कोई बदलाव हुआ हो तो आवेदन-पत्र में नया नाम दर्ज करें. इसका प्रमाण संलग्न करें.
इस फॉर्म पर तीन गवाहों के हस्ताक्षर करवाएं, जोकि रिश्तेदार, दोस्त या पड़ोसी हो सकते हैं. गवाहों का विवरण भी फॉर्म में भरना होगा.
5. रजिस्ट्रेशन ऑफिस में सभी दस्तावेजों की जांच होगी. हस्ताक्षर करवाने के बाद इन पर मुहर लगेगी और इसकी प्रतिलिपियां निकाली जाएंगी.
मैरिज सर्टिफिकेट अनिवार्य : जिला अवर निबंधक
जिला अवर निबंधक गौतम राय कहते हैं कि मैरिज सर्टिफिकेट अनिवार्य है. इसके लिए लोगों में जागरूकता जरूरी है. आवेदन जमा करने के लगभग 30 दिन के भीतर प्रमाण पत्र जारी किया जाता है. आवेदन के बाद पंजीकरण केंद्र के बोर्ड पर शादी से संबंधित सूचना लगा दी जाती है ताकि वर-वधू के किसी भी संबंधी को कोई आपत्ति हो तो वे इसे दर्ज कर सकें. अगर कोई आपत्ति प्राप्त नहीं होती तो सूचना प्रकाशित होने के एक महीने बाद विवाह संपन्न माना जाता है.
यदि आपत्ति मिलती है तो जांच के बाद निर्णय लिया जाता है शादी होगी या नहीं. विवाह निबंधन के लिए 250 रुपया शुल्क है. लड़का व लड़की दोनों को प्रमाण पत्र मिलता है. इसके दो सौ रुपये लगते हैं. पंचायत या वार्ड स्तर पर आवेदन वाले दिन प्रमाण पत्र मिलता है. यहां सौ रुपया शुल्क है. एक माह बाद एक हजार रुपया जुर्माना है.
रजिस्ट्रेशन के लिए इन दस्तावेजों की जरूरत
पति-पत्नी के हस्ताक्षर वाला आवेदन-पत्र
आयु या जन्म का प्रमाण-पत्र
आवासीय प्रमाण-पत्र (लड़की शादी से पहले जहां रहती हो-वहां का आवासीय प्रमाण-पत्र )
शादी के फोटोग्राफ, निमंत्रण पत्र, मंदिर में शादी हुई हो तो पुजारी द्वारा जारी प्रमाण-पत्र
यदि विदेशी से शादी हुई हो तो उसके देश की एंबेसी द्वारा नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट
यदि लड़की शादी के बाद सरनेम बदलना चाहती है तो एक नॉन-ज्यूडिशियल स्टैंप पेपर, जिस पर पति-पत्नी द्वारा अलग-अलग एफिडेविट हो. इन सभी दस्तावेजों पर राजपत्रित अधिकारी का हस्ताक्षर और मुहर जरूरी है.
