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डीइओ आवास में नोटों का बंडल देख हैरान रह गयी टीम, दस घंटे तक चली पूछताछ

जिला शिक्षा पदाधिकारी रजनीकांत प्रवीण के बसंत विहार स्थित निजी आवास पर छापेमारी करने पहुंची टीम ने आवास से बरामद नोटों का बंडल देख हैरान हो गई.

अवध किशोर तिवारी, बेतियाजिला शिक्षा पदाधिकारी रजनीकांत प्रवीण के बसंत विहार स्थित निजी आवास पर छापेमारी करने पहुंची टीम ने आवास से बरामद नोटों का बंडल देख हैरान हो गई. सूत्रों की माने तो दो बेड भरकर नोट बरामद हुए. खाद के बोरों में भी कैश रखने की चर्चा रही. नतीजा टीम को कैश गिनने के मशीन तक मंगवानी पड़ गई है. बरामद सोने-चांदी के आभूषणों के लिए वेट मशीन लाई गई. इतना ही नहीं आवास से तमाम जगहों के जमीन, प्लॉट, बांड इत्यादि के कागजात भी मिले. जिसे टीम अपने साथ ले गई.

टीम डीइओ रजनीकांत प्रवीण को सामने बैठाकर न सिर्फ बरामद नोट को गिनने का काम की, बल्कि उनसे बकायदा पूछताछ चलती रही. मसलन इन अकूल संपत्तियों को डीइओ ने कैसे अर्जित किया. परिवार के सदस्यों के नाम से भूमि, फ्लैट, स्कूल इत्यादि कैसे आये. कहां-कहां कितनी संपत्ति है. 20 साल की सेवा में इतनी संपत्ति के मालिक कैसे बने? ऐसे तमाम सवालों का बौछार टीम में शामिल अधिकारी करते रहे. जिसका जवाब डीइओ को देते नहीं बन रहा था. लिहाजा सुबह सात बजे से शुरू हुई छापेमारी देर शाम छह बजे तक जारी रही. पूरी कार्रवाई के दौरान डीइओ अपने आवास में मौजूद रहे. जबकि छापेमारी की भनक लगते ही इनके चहेते मौके से फरार हो गये. डीइओ आवास से निकली टीम ने फिलहाल कुछ भी बताने से इंकार किया. वहीं दूसरी ओर आवास के बाहर शिक्षा विभागीय मरम्मति, निर्माण एवं सप्लायर के रुप में कार्य कर रहे दर्जनों लोग इकठ्ठा हो गये थे. उनकी उत्सुकता यह थी कि अब आगे क्या होगा. हर कोई यहीं पुछ रहा था कि क्या डीइओ साहब को टीम गिरफ्तार कर ले जायेगी. हालांकि जब शाम में टीम डीइओ को बिना लिये वापस हुई तो कई लोगों की जान में जान आयी.

बगहा में भी डीइओ का है स्कूल, पत्नी हैं मालिक

जानकारों की मानें तो रजनीकांत की पत्नी सुष्मा दरभंगा, समस्तीपुर और बगहा में प्राइवेट स्कूल चलाती हैं. बगहा के वाल्मीकिनगर में भी रजनीकांत के एक स्कूल में छापेमारी की सूचना है. हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो सकी. निगरानी विभाग के मुताबिक, रजनीकांत प्रवीण ने साल 2005 से लेकर अब तक लगभग 1.87 करोड़ रुपए की चल और अचल संपत्ति अर्जित की है, जो उनकी 20 साल की सर्विस से मेल नहीं खाती है. यह अवैध तरीके से अर्जित की गई है. वे दरभंगा, समस्तीपुर, मधुबनी सहित अन्य जिलों में शिक्षा अधिकारी के रूप में कार्यरत रह चुके हैं. जिन्होंने अपने पद और गरिमा का दुरुपयोग कर काले धन का कुबेर बनना चाहा.

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