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चंद्र ग्रहण को लेकर सिमरिया गंगा घाट में श्रद्धालुओं ने लगायी आस्था की डुबकी

रविवार की रात आसमान में घटित खगोलीय घटना चंद्र ग्रहण 2025 ने पूरे जनमानस को अपनी ओर खींच लिया.

बीहट. रविवार की रात आसमान में घटित खगोलीय घटना चंद्र ग्रहण 2025 ने पूरे जनमानस को अपनी ओर खींच लिया. भाद्रपद पूर्णिमा पर लगा पूर्ण चंद्रग्रहण सभी लोगों के लिए अद्भुत नजारा और आध्यात्मिक अनुभव बन गया. जैसे-जैसे चांद लालिमा लिए आकाश में ढंकता गया, सड़कों और देवालयों में सन्नाटा पसरता गया. मंदिरों के पट ग्रहण काल के कारण शाम से ही बंद कर दिये गये थे. चंद्र ग्रहण के दोष से बचने के लिए श्रद्धालुओं ने घरों में भजन-कीर्तन किया और आराध्य के मंत्र जाप के साथ ग्रहण काल में भगवान के स्मरण में डूबे रहे. ज्योतिषविदों की मानें तो पितृपक्ष में लगा खग्रास चंद्र ग्रहण आम लोगों को कोई नुकसान नहीं देगा. नवरात्र आरंभ तक चंद्र ग्रहण का असर सामान्य जनजीवन पर न्यूनतम हो जायेगा.

सिमरिया में ग्रहण स्नान को लेकर उमड़ी भीड़ : ग्रहण स्नान को लेकर सोमवार की अहले सुबह से ही सिमरिया घाट में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. श्रद्धालुओं ने गंगा मैया की जयकारे के बीच श्रद्धा और आस्था की डूबकी लगायी. यह क्रम दोपहर बाद तक चलता रहा. श्रद्धालुओं ने स्नान के बाद सिमरिया घाट स्थित विभिन्न मंदिरों में पूजा-अर्चना की. इसके उपरांत लोगों के बीच ग्रहण दान किया. इस अवसर पर बेगूसराय के अलावा दरभंगा, समस्तीपुर, मधुबनी, सहरसा, लखीसराय, शेखपुरा सहित अन्य जिले से आये लोगों ने सिमरिया गंगा घाट में स्नान किया.

हर मायने में अद्भुत है चंद्रग्रहण : स्वामी चिदात्मनजी महाराज ने कहा इस बार चंद्रग्रहण का योग एक दिव्य संयोग और अति विलक्षण है. ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए चंद्रमा के मंत्र का जाप करना चाहिए. शास्त्रों में कहा गया है कि चंद्रग्रहण के बाद किया गया दान सामान्य दिनों में किये गये दान की अपेक्षा कई गुणा लाभकारी और पुण्य फल देने वाला होता है. इसके अलावा इस दिन स्नान, दान, जप, तप और हवन से अनंत पुण्य फलदायी है. इस दिन औषध, जल, वायु की ताकत बढ जाती है. स्नान-ध्यान से सारे पाप नष्ट है जाते हैं और यह आरोग्यता,बुद्धिबल और मन को एकाग्रता प्रदान करने वाला होता है

टीवी स्क्रीन बना आस्था और विज्ञान का संगम : लोग टीवी स्क्रीन से चिपके रहे,जहां विशेषज्ञ ग्रहण का ज्योतिषीय और वैज्ञानिक विश्लेषण कर रहे थे. किसी ने इसे पितृपक्ष पर गहरा असर डालने वाला संयोग माना तो किसी ने इसे केवल खगोलीय घटना बताया. बावजूद इसके, लोग पूरी रात ग्रहण के प्रत्येक पल को समझने और देखने को उत्सुक रहे. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार,यह चंद्रग्रहण लगभग साढ़े तीन घंटे तक चला और 122 साल बाद ऐसा दुर्लभ संयोग बना. इस ग्रहण का प्रभाव एक पक्ष तक यानी 15 दिन रहेगा 48 घंटे तक इसका विशेष असर होगा. इस अवधि में प्राकृतिक आपदाओं या जल प्रलय जैसी परिस्थितियों की आशंका जतायी गयी है. ग्रहों की धीमी-तेज गति (विशेषकर शनि और गुरु) विश्वव्यापी घटनाओं में उथल-पुथल ला सकती है.

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