बखरी. विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र बखरी में इन दिनों बसों की भारी कमी देखने को मिल रही है. बस संचालक चुनावी ड्यूटी में वाहन जब्त किये जाने की आशंका से अपनी बसें सड़कों पर नहीं उतार रहे हैं. वही कुछ बस को प्रशासन ने अलग अलग जगहों पर जब्त कर लिया है. इस कारण आम यात्रियों के साथ-साथ सरकारी कर्मियों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. रविवार को बखरी विधानसभा चुनाव के विभिन्न कोषांगो में प्रतिनियुक्त सरकारी कर्मी को बेगूसराय से बखरी आने हेतु को घंटों तक बस का इंतजार करना पड़ा.वही बखरी से बेगूसराय, मंझौल, खगड़िया, हसनपुर, रोसरा जाने वाले यात्री का सुबह से बस स्टैंड पर लंबी कतारें लगी रहीं, लेकिन दोपहर तक कोई बस उपलब्ध नहीं थी.कई लोगों ने निराश होकर वापस लौट गये.कुछ ने बताया कि वे सुबह नौ बजे से इंतजार कर रहे थे,पर कोई बस नहीं मिली.बेगूसराय से टेम्पो कर मंझौल तथा मंझौल से दूसरी गाड़ी पकड़कर बखरी पहुंचे.जबकि कुछ यात्रियों ने बताया कि काफी देर बाद जब एक निजी बस पहुंची तो लोगों में उसे पकड़ने की होड़ मच गई.भीड़ इतनी ज्यादा थी कि बस में क्षमता से अधिक लोग सवार हो गये. कई यात्री खड़े होकर यात्रा करने को मजबूर हुए.जिससे यात्रा बेहद कष्टदायक बन गयी. स्थानीय आरती देवी,पूजा देवी,चंदन महतों, सुमन कुमार, राज कुमार साह सहित दर्जनों यात्रियों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से बखरी–बेगूसराय और बखरी–खगड़िया व रोसरा मार्ग पर बसों की संख्या काफी घट गयी है. पहले हर आधे घंटे पर बसें चलती थीं, लेकिन अब घंटों इंतजार के बाद भी बस नहीं मिल पा रही है.विधानसभा चुनाव के लिए गाड़ियों की पकड़-धकड़ से मुसाफिरों की परेशानी बढ़ गयी है. जिससे सड़क पर सार्वजनिक वाहनों की संख्या घट गई है. स्थानीय बस स्टैंड के स्टैंड कीपर ने बताया कि बखरी स्थित बस स्टैंड से बेगूसराय के लिए रोजाना 25 तथा खगड़िया हेतु 14 जोड़ी से अधिक बसें खुलती थीं.रविवार को एक जोड़ी मात्र बस खुली है.इस कारण पटना,बेगूसराय,खगड़िया आदि जगह जाने में यात्रियों को परेशानी हो रही है.परिवार के साथ यात्रा करने वालों की मुश्किलें ज्यादा बढ़ गयी है. इधर बताया जाता है कि बस के नहीं चलने से ई रिक्शा एवं टेंपो से अपने गंतव्य तक जाने को मजबूर हो रहे.वही यात्री को सरकारी दर से अधिक मंझौल के लिए 50 तथा बेगूसराय हेतु 100 प्रति व्यक्ति भाड़ा वसूला जा रहा है.जबकि खगड़िया के लिए पूर्व से तय भाड़ा यात्रियों से लिया जा रहा है. जिससे यात्रियों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, बस मालिकों का कहना है कि चुनावी कार्यों में वाहन जब्त होने से उनके नियमित परिचालन और आमदनी पर असर पड़ता है,इसलिए वे जोखिम नहीं उठा रहे हैं.
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