बेगूसराय. बेमौसम बारिश से जिले के किसान काफी हलकान हो रहे है. गुरुवार की देर रात्रि तेज हवा व बेमौसम झमाझम बारिश ने किसानों के फसल को काफी नुकसान कर दिया. वहीं शहर में कहीं किचकिच तो कहीं जलजमाव जैसा नजारा बन गया. बर्षा के कारण मकई का लहलहाते फसल जमीन पर गिर गये. वहीं तेज हवा से आम और लीची के फलों को भी काफी नुकसान पहुंचा है.जैसे ही बारिश होना शुरु हुआ ही किसान झटपट अपनी फसलों को तिरपाल से ढककर बचाने में जुट गये. जिले में तीसरी बार बेमौसम बारिश की मार किसानों को झेलना पड़ा है. बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है. किसानों को आर्थिक तौर पर काफी नुकसान हुआ है. वर्षा के दौरान शहर के कुछ क्षेत्रों में जलजमाव तो कहीं किचकिच का नजारा बन गया है.
वैशाख में सावन-भादो जैसा नजारा
साहेबपुरकमाल. अप्रैल में जुलाई अगस्त के मौसम का नजारा देख लोग परेशान है.एक सप्ताह के अंदर कई बार आंधी तूफान के साथ मूसलाधार बारिश ने न सिर्फ किसानों की कमर तो दिया है बल्कि दर्जनों गरीबों के आशियाने को भो उजाड़ दिया है. भारी वर्षा की वजह से कई गांव में जलजमाव हो जाने से लोगों को आवागमन को बाधित कर दिया है.क्षेत्र के मोहनपुर,शिवचन्दपुर,मल्हीपुर, कुरहा बाजार,पंचवीर सहित अन्य कई गांवों में जलजमाव के कारण लोगों को घर से निकलना मुश्किल हो गया है.जबकि गुरुवार की रात आंधी तूफान और वर्षा के साथ ओलावृष्टि से खेतों में लगी गेहूं और मक्के की फसल को भारी क्षति हुई है.कई जगह बिजली का पोल टूट कर गिर जाने से क्षेत्र में अंधेरा छा गया.साहेबपुरकमाल पूर्वी पंचायत के सिरैया गांव से एन एच 31 के बीच 11000 बोल्ट के तीन पोल तार सहित जमींदोज हो जाने से बिजली आपूर्ति ठप हो गई. जिससे रातभर लोग अंधेरे में रहने पर मजबूर हुए.चिमनी पर तैयार लाखों पकमेल ईंट वर्षा के पानी में गलकर बर्बाद हो जाने से चिमनी संचालकों को लाखों के नुकसान का अनुमान है.प्रखंड क्षेत्र के सबदलपुर,रघुनाथपुर,साहेबपुरकमाल,श्रीनगर सहित अन्य कई गांव में फुस और चदरा का मकान का छत आंधी में उड़ जाने से लोग बेघर हो गए. कई जगह पेड़ की टहनी और पेड़ टूटकर सड़क पर गिर जाने से आवागमन बाधित हो गया है.कई जगह शादी का पंडल भी हवा में उड़ गया. जिससे विवाह समारोह भी प्रभावित हुआ है.लोगों का कहना है कि अप्रैल माह में प्रकृति का रौद्र रूप देख चिंता बढ़ गई है.गढ़पुरा में तेज हवा के साथ बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त, बिजली आपूर्ति ठप
गढ़पुरा. बेमौसम बरसात से जहां गन्ना एवं मक्का के फसलों को काफी अधिक फायदा हुआ है वहीं सबसे अधिक नुकसान गेहूं की फसल को हुआ है. गढ़पुरा प्रखंड क्षेत्र के मालीपुर, मूसेपुर, कोरैय, धरमपुर, गढ़पुरा मैसना, दुनही, कोरियामा, रजौड़, कुम्हारसों, सोनमा, मौजीहरिसिंह समेत विभिन्न गांव में तेज हवा के साथ हुए मुसराधार बारिश ने लोगों का जनजीवन अस्त व्यस्त कर दिया. खासकर बारिश के कारण सभी गाँव के विभिन्न बहियार में लगे गेंहू का फसल बर्बाद हो गया. कुछ जगहों पर गेहूं का फसल कटा पड़ा था जो तेज हवा एवं बारिश में काफी अधिक प्रभावित किया था. जगह-जगह पर सड़क के किनारे लगे पेड़ गिरने से आवाजाही भी प्रभावित हो गया. स्थानीय लोगों की मदद से गढ़पुरा बखरी पथ के किनारे लगे महोगनी के पेड़ गिरने से रास्ता बंद हो गया था लेकिन स्थानीय लोगों की मदद रास्ता को साफ किया गया. दूसरी तरफ तेज हवा के कारण गढ़पुरा पंचायत के मैसना वार्ड छह में कई जगहो पर बिजली का खंभा टूट कर धराशाई हो गया. इसके अलावा एनपीएस मैसना के समीप सड़क किनारे महोगनी के पेड़ गिरने से वहां भी विद्युत तार कई जगहों पर टूट गया था. ग्रामीण हरे कृष्णा यादव, अमित कुमार समेत कई लोगों ने बताया कि विद्युत पोल एवं तार के टूटने से विद्युत आपूर्ति पूरी तरह से बंद है. ग्रामीणों ने बताया कि बिजली सप्लाई नहीं होने के कारण हम लोग का मोबाइल भी बंद हो चुकी है.बछवाड़ा में आंधी-बारिश से गेहूं, मक्के, आम व लीची को ज्यादा नुकसान
बछवाड़ा. प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न इलाके में गुरुवार की रात बेमौसम बरसात व तेज हवा के कारण फसलों को काफी नुकसान हुआ है. विगत दिनों हुए हवा के सात बारिश से किसान उबर ही नहीं पाए थे कि एक बार फिर आंधी व बारिश ने किसानों की कमर ही तोड़कर रख दी है. किसान शिवदानी राय,राम बाबु चौधरी,चन्द्रमणी कुंवर, सरोज राय, राज कुमार चौधरी, बबलु कुमार राय, मिथलेश प्रसाद सिंह, रामाधार राय, रघुपति राय, विजय शंकर दास, संजीव चौधरी, दीपक कुमार यादव, नुनु यादव समेत अन्य लोगों ने बताया कि विगत दिनों हुए तेज हवा के साथ बारिश के कारण सबसे अधिक नुकसान गेहूं व मक्के का हुआ है. हमलोग गेहूं की फसल लगाने के लिए महंगे दर पर खेतों की जुताई, महंगे मजदुरी के बाद महंगे कीमत पर खाद, बीज के कारण प्रति बीघा बीस हजार रूपया तक खर्च हो जाता है, वही मक्के के फसल की बात करें तो पच्चीस से तीस हजार रूपये तक प्रति बीघा खर्च होता है. उन्होंने बताया कि खेतो में फसल लगाने के उपरांत प्रतिदिन खेतों का देखभाल करना पड़ता है. गर्मी, सर्दी या बरसात के मौसम में भी खेतों की रखवाली करनी पड़ती है. लेकिन जब गेहूं का फसल तैयार हुआ अब फसल कटने का समय आया तो आंधी तुफान व बारिश के भेंट चढ़ गयी. हमलोग जितना पूंजी खर्च किए अब उतना तो दुर उसका आधा भी पूंजी घर आने की संभावना नहीं है. वही मक्के के फसल जमीन पर गिर चुका है जबकि मक्के के फसल में अब दाना लगना शुरू हो गया था. ऐसे में मक्के के फसल में भरपुर दाना नहीं आएगा. वही आंधी के कारण आम के पेड़ में भरपुर फल लगा ही नहीं लेकिन कुछ फल लगे थे वो भी आंधी व बारिश का शिकार हो चुका है. अब ऐसे में किसान किस तरह अपनी लागत पुंजी निकाल सकता है और कैसे एक वर्षों तक अपने परिवार का भरण पोषण करेगा, किसानों के समक्ष ये भारी चुनौती है. वही किसानों ने कृषि विभाग पर आरोप लगाते हुए कहा कि गेहूं व मक्के समेत आम व लीची के फसल को भारी नुकसान होने के बावजूद कृषि विभाग की आंख नहीं खुली है. अभी तक कृषि विभाग के कर्मी खेतों में नुकसान फसल का भौतिक सत्यापन करने नहीं पहुंचे हैं. किसानो ने सरकार से फसल क्षति का भौतिक सत्यापन कर उचित मुआवजा देने की मांग की है.कृषि वैज्ञानिकों ने लिया जायजा
खोदावंदपुर. गुरुवार की रात्रि क्षेत्र के विभिन्न भागों में आंधी के साथ हुई वर्षा से फसलों को काफी नुकसान होने की आशंका है. मक्का, गेहूं फसल के अलावे आम, लीची के मंजरों व छोटे छोटे फलों को भारी नुकसान होने की संभावना जतायी गयी है. इस संदर्भ में कृषि विज्ञान केंद्र खोदावंदपुर के वैज्ञानिकों ने विभिन्न फसलों के नुकसान का जायजा लिया. प्रकृति की बेरुखी से परेशान किसानों को कृषि वैज्ञानिकों ने अपने सुझाव साझा किया है. इसकी जानकारी देते हुए केविके के वरीय सह प्रधान डॉ राम पाल ने बताया है कि जिन खेतों में मक्का की फसल पक चुकी थी, तेज हवा के कारण वहां पौधे धराशायी हो गये हैं और भुट्टे जमीन पर आ गये हैं. जिसके कारण उनके पूर्ण रूप से पकने की संभावना नहीं है. जिन खेतों में मक्का अभी कच्ची अवस्था में थी, वहां पौधे गिरने से भुट्टे बन ही नहीं पाएंगे. इससे उत्पादन में भारी गिरावट आने की संभावना है. प्रधान कृषि वैज्ञानिक ने बताया है कि भारी बारिश और तेज हवा के कारण आम एवं लीची के मंजरों व छोटे-छोटे फलों का भारी मात्रा में झड़ाव हुआ है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.प्रधान कृषि वैज्ञानिक के अनुसार जिन खेतों में गेहूं की कटाई हो चुकी है, वहां भुसे के गीले हो जाने से पशुओं के चारे की कमी हो सकती है. वहीं दूसरी ओर जिन खेतों में अभी गेहूं की कटाई नहीं हुई है, वहां अत्यधिक नमी के कारण फसल की उपज पर विपरीत असर पड़ेगा.किसानों को दिये गये सुझाव
कृषि वैज्ञानिक ने किसानों को खाली खेतों में हरा खाद तैयार करने की सलाह दिया है. कृषि वैज्ञानिक ने बताया है कि जिन खेतों में अभी कोई फसल नहीं लगी है, वहां किसान ढैचा या मूँग जैसी हरी खाद वाली फसलों की बुवाई करें. ये फसलें नाइट्रोजन स्थिरीकरण में मदद करती हैं तथा जैविक कार्बन बढ़ाती हैं. साथ ही साथ मिट्टी की उर्वरता को बनाये रखने में सहायक होती हैं.उन्होंने बताया कि ढैचा जैसी फसलें 45 से 60 दिनों में तैयार हो जाती हैं और उन्हें जुताई कर खेत में मिला देने से मिट्टी के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों में सुधार होता है. यह आगामी खरीफ फसलों के लिए खेत को उपजाऊ बनाता है.डंडारी में कई लोगों के आशियाने टूटकर गिरे
डंडारी. गुरुवार को देर संध्या अचानक आई आंधी-तूफान एवं बेमौसम बरसात से जहां किसानों की कमर तोड़कर रख दिया है. वहीं कई गरीबों के घरों व दूकानों के छप्पर तेज आंधी-तूफान में उड़ गए. कई किसानों ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि भींगे हुए बोझ को सुखा देने के बाद भी थ्रेशर मालिक दौनी करने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं. तैयार हो भी रहे हैं तो इसके लिए मुंहमांगी राशि अथवा तैयार फसल मांगी जा रही है. जिससे किसान अपने आप को बहुत ही परेशान महसूस कर रहे हैं. इसी प्रकार देर संध्या अचानक आई आंधी-तूफान एवं बेमौसम बरसात ने किसानों की निंद हराम कर दी. वहीं तेज हवा में कई गरीबों के चदरे मकान के उपर से उड़ गए. फलस्वरूप कई लोग बेघर हो गए. महिपाटोल पंचायत के प्रतारपुर गांव के वार्ड संख्या 13 निवासी स्व. ह्रदय यादव के पुत्र किनोदी यादव, व किनोदी यादव के पुत्र बमबम यादव व कन्हैया यादव का घर क्षतिग्रस्त हो गया. इसी प्रकार बलिया- डंडारी पथ पर कई पेड़ व जगह-जगह बिजली के पोल व तार भी धराशायी हो गए. इसको लेकर विगत 24 घंटे से बिजली आपूर्ति बाधित है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है