बाराहाट. प्रखंड स्थित मिर्जापुर चंगेरी गांव में केवारी बाबा स्थान में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ कथा के दूसरे दिन शनिवार को मंद्राचल धाम से पधारे कथावाचक श्री सत्य प्रकाश शरण जी महाराज ने राजा परीक्षित संवाद, शुकदेव जन्म सहित अन्य प्रसंग सुनाया. कथावाचक ने शुकदेव परीक्षित संवाद का वर्णन करते हुए कहा कि एक बार परीक्षित महाराज वन में चले गये. उनको प्यास लगी तो समीक ऋषि से पानी मांगा. ऋषि समाधि में थे, इसलिए पानी नहीं पिला सके. परीक्षित ने सोचा कि साधु ने अपमान किया है. उन्होंने मरा हुआ सांप उठाया और समीक ऋषि के गले में डाल दिया. यह सूचना पास में खेल रहे बच्चों ने समीक ऋषि के पुत्र को दी. ऋषि के पुत्र ने श्राफ दिया कि आज से सातवें दिन तक्षक नामक सर्प आयेगा और राजा को जलाकर भस्म कर देगा. समीक ऋषि को जब यह पता चला तो उन्होंने दिव्य दृष्टि से देखा कि यह तो महान धर्मात्मा राजा परीक्षित हैं. और यह अपराध इन्होंने कलियुग के वशीभूत होकर किया है. समीक ऋषि ने जब यह सूचना जाकर परीक्षित महाराज को दी तो वह अपना राज्य अपने पुत्र जन्मेजय को सौंपकर गंगा नदी के तट पर पहुंचे. वहां बड़े ऋषि, मुनि देवता आ पहुंचे और अंत में व्यास नंदन शुकदेव वहां पहुंच. शुकदेव को देखकर सभी ने खड़े होकर उनका स्वागत किया. कथा सुनकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गये. कथा के दौरान धार्मिक गीतों पर श्रद्धालु जम कर झूमें. कथा में दूसरे दिन बड़ी संख्या में महिला-पुरूष कथा सुनने पहुंचे. इस दौरान सेवानिवृत प्रधानाध्यापक अनिरुद्ध प्रसाद विमल, सेवानिवृत्ति शिक्षक अश्विनी प्रजावंशी, पूर्व प्रमुख राजेश यादव, पैक्स अध्यक्ष नीरज महाराणा, उप मुखिया संजय चौधरी, हेमकांत महाराणा सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

