अमरपुर. अमरपुर नगर पंचायत की स्वच्छता व्यवस्था गंभीर सवालों के घेरे में है. यहां पिछले 12 दिनों से सफाई कार्य बंद पड़ा हुआ है, जिससे स्थानीय नागरिकों का जीवन प्रभावित हो रहा है. साथ ही अमरपुर शहर की छवि भी खराब हो रही है. गंदगी का अंबार, जाम पड़ी नालियां, जल निकासी समस्या जैसी समस्याएं शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने के सपने पर पानी फेर रही है. कचरा ही शहर की पहचान बन चुका है. सफाई कार्य बाधित रहने से शहर के विभिन्न चौक चौराहा एवं मुहल्लों में कचरे का अंबार लगा हुआ है. साथ ही सड़क पर नाले का गंदा पानी का बहाव हो रहा है. नगर प्रशासन की चुप्पी से शहरवासियों में नगर प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आक्रोश दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. विदित हो कि शहर की साफ सफाई की जिम्मेदारी सोशल इंस्टीट्यूट फॉर विकर सेक्सन को दिया गया है. प्रतिमाह शहर की साफ-सफाई में लाखों रुपये नगर प्रशासन के द्वारा खर्च करने का दावा किया जा रहा है, लेकिन नगर प्रशासन के तमाम दावों की पोल दिन प्रतिदिन खुलती जा रही है. शहर के सफाई कर्मी ईपीएफ राशि बंद कर मजदूरी बढ़ोतरी की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गये. विगत दिनों सफाई संवेदक सुनील कुमार सिंह के द्वारा बाहरी मजदूरों से शहर की साफ सफाई कराने का प्रयास किया गया, लेकिन हड़ताल पर डटे सफाई कर्मियों ने बाहरी मजदूरों को खदेड़ दिया. गत दो दिन पूर्व थानाध्यक्ष पंकज कुमार झा की पहल पर सफाई कर्मियों ने हड़ताल समाप्त कर काम पर लौटने की अपनी सहमति भी दी थी, लेकिन संवेदक के मुंशी पुराने मजदूरों को काम पर लौटने की अनुमति नहीं दी. मामले में सफाई संवेदक ने अपना पल्ला झाड़ते हुए मुख्य पार्षद से बात करने की बात कही. वहीं मुख्य पार्षद ने मामले में सफाई संवेदक से वार्ता करने की बात कही. सफाई संवेदक व मुख्य पार्षद के बीच खींचातान से शहरवासी परेशान हैं. पूर्व के संवेदक द्वारा सफाई मजदूरों का लगभग 85 लाख ईपीएफ राशि का घोटाला किया गया था, जिसकी आज भी जांच चल रही है. वर्तमान सफाई संवेदक के ऊपर सफाई कर्मी भी ईपीएफ घोटाले का आरोप लगा रहे हैं. उधर शहरवासियों ने नगर प्रशासन से अविलंब शहर की साफ-सफाई का वैकल्पिक व्यवस्था कराने की मांग की है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है