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मुख्य पार्षद उपचुनाव : दिग्गजों ने कसी कमर, दिलचस्प होगी लड़ाई

नगर परिषद मुख्य पार्षद उपचुनाव की तिथि निर्धारित होते ही दिग्गजों ने अपनी-अपनी कमर कस ली है.

उपचुनाव की अधिसूचना जारी होते ही आचार संहिता हुआ प्रभावी, उतरने लगे होर्डिंग और बैनर-पोस्टर

बांका. नगर परिषद मुख्य पार्षद उपचुनाव की तिथि निर्धारित होते ही दिग्गजों ने अपनी-अपनी कमर कस ली है. नियम के अनुरूप अधिसूचना जारी होते ही नगर निकाय में आचार संहिता प्रभावी हो गया है. इसका असर भी रविवार को सड़कों पर देखने को मिला. जगह-जगह लगे संभावित उम्मीदवारों व नेताओं के होर्डिंग और बैनर-पोस्टर उतारे गये. समय रहते इसका प्रतिपालन नहीं किया गया तो प्रशासन इसपर एक्शन भी ले सकता है. 28 जून को मतदान को लेकर 28 मई से छह जून तक नामांकन का समय निर्धारित है. वहीं दूसरी ओर इस बार का चुनाव कई मायनों में दिलचस्प होने वाला है. चूंकि, 2023 में हुए आम चुनाव का कार्यकाल पूरा होने के पहले ही तत्कालीन मुख्य पार्षद को होल्डिंग टैक्स मामले में पद से बीच में ही हटना पड़ा, इसलिए मुकाबला अन्य चुनाव के मुकाबले काफी अलग होना लाजमी है. चर्चा के अनुसार पूर्व मुख्य पार्षद अनिल सिंह ने अभी अपना रुख पूरी तरह चुनाव के लिए साफ नहीं किया है. उनके नजदीक रहने वाले भी चुनाव में उनकी उम्मीदवारी पर अपनी स्पष्ट राय नहीं दे पा रहे हैं. कुछ लोगों का कहना है कि उनका अभी फोकस कोर्ट पर है. उनकी कोशिश होगी कि चुनाव को हाई कोर्ट से रुकवा दिया जाय. यदि समय रहते हुए ऐसा संभव नहीं हुआ तो ही वह चुनाव लड़ने या न लड़ने पर विचार कर सकते हैं. पूर्व सभापति और विगत चुनाव में अनिल सिंह से नजदीकी मुकाबले में पराजित संतोष कुमार सिंह, चुनाव के प्रति शुरु से ही सक्रिय हैं. मसलन, वह विगत कई महीनों से जनसंपर्क के माध्यम से क्षेत्र में घूम रहे हैं. चुनाव की तिथि निर्धारित होने के बाद वह अब पूरी तरह से मैदान में कूद गये हैं. संभावित उम्मीदवारों में पूर्व प्रत्याशी बालमुकुंद सिंहा काफी सक्रिय नजर आ रहे हैं. यद्यपि, उनकी भी तैयारी जारी है. नये चेहरे के तौर पर विकास चौरसिया के चुनाव लड़ने की चर्चा जोरों पर है. अन्य नये उम्मीदवारों में वार्ड पार्षद अभिषेक आनंद उर्फ लालू का भी नाम चर्चा में है. माना जा रहा है कि उप चुनाव में या तो उम्मीदवारों की फेहरिस्त लंबी हो सकती है या आधा दर्जन से कम उम्मीदवार भी मैदान में नजर आ सकते हैं.

चुनाव में दिग्गजों की नजर

नगर परिषद बांका के मुख्य पार्षद का चुनाव राजनीतिक नजरिये से काफी महत्वपूर्ण होता है और जब आगे विधानसभा चुनाव हो तो ऐसे समय में इसके मायने बदल जाते हैं. इस बार भी इस चुनाव में दिग्गजों की नजर है. सियासत पर पैनी नजर रखने वाले जानकारों का कहना है कि चूंकि यह जिला मुख्यालय है और शहरी निकाय भी है तो विधानसभा चुनाव में इसका प्रभाव लाजमी है. विधानसभा के संभावित उम्मीदवार भी इस चुनाव के बहाने अपनी पकड़ मजबूत कर सकते हैं. अभी हालिया हालात देखें तो यह चुनाव दो ध्रुवों में बंट गया है. खास बात यह है कि एक ही दल के दो नेता अलग-अलग उम्मीदवारों पर अपना दांव आजमा रहे हैं. इस बार न केवल बड़े नेता बल्कि प्लॉटर से लेकर व्यवसायी भी चुनाव में अपना प्रभाव रख सकते हैं. हालांकि, अभी चुनाव में खास मोड़ आना बाकी है. चूंकि, राजनीति में सभी वस्तु स्थिति के साथ जाति, धर्म और वर्ग को साधना होता है. खास बात यह है कि इस बार दो प्रमुख बिंदु भी चुनाव में काफी आजमाया जायेगा. पहला सहानुभूति और दूसरा विकास.

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