घर-घर में चलेगा अभियान
बांका होगा जेइ मुक्त
दिया नारा, भूल न जाना टीका जरूर लगवाना
25 से आरंभ होगा टीकाकरण अभियान
बांका: जापानी इसेफलाईटिस रोग जानलेवा है, हर उम्र के लोगों को यह रोग हो सकता है. ज्यादातर 15 वर्ष उम्र वर्ग के बच्चों को ज्यादा होता है. इसके रोकथाम के लिए 25 नवंबर से 19 दिसंबर तक जिले के सभी स्कूलों में 1 से 15 वर्ष तक के बच्चों को एक अभियान के तहत टीके लगावाये जायेंगे. फिर यह अभियान आंगनबाड़ी केंद्र व गांव तक पहुंचेगा. एएनएम, आशा को इस अभियान से जोड़ा गया है. जो स्कूलों व घर घर में जाकर बच्चों को टीका देगी. डॉक्टर इसकी निगरानी करेंगे. इससे बांका के बच्चे इस जानलेवा रोग का शिकार होने से बच पायेंगे. राज्य स्वास्थ्य समिति ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है. कार्यालय वेश्म में आयोजित प्रेस वार्ता में सीएस डॉ रामाशीष कुमार ने बताया इस रोग का प्रतिरोधक टीका महंगा होता है, एवं बाजार में उपलब्ध नहीं है. इस टीका को लगवाने से कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है. ये दवाएं चीन से सरकार ने मंगा कर बच्चों के लिए उपलब्ध कराया है. इस अवसर पर डीपीएम प्रभात कुमार, अमरपुर प्रभारी डॉ पी झा, राज्य स्वास्थ्य समिति के प्लानिंग टीके राजकुमार, यूनिसेफ के राजीव सिन्हा सहित अन्य उपस्थित थे.
कैसे फैलता है यह रोग
जापनी इंसेफलाईटिस मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है जो सूअर व पक्षी के अंदर अपने वाइरस को बढ़ावा देता है. इसके वायरस का प्रभाव फैलते ही यह मानव के ब्रेन में पहुंच जाता और पीड़ित की मौत या फिर अपंगता का शिकार होने का खतरा बन जाता है. यह रोग हो जाने के बाद रोकथाम बहुत मुश्किल हो जाता है. जापानी इंसेफलाटिस का इंजेक्शन लेने के बाद यह रोग नहीं हो सकता है.
इनको नहीं लगेगा
बीमार बच्चों, कमजोर वर्ग बच्चों, लीवर, किडनी, हर्ट के पेसेंट को, एलर्जी, एड्स, गर्भवती महिला को ये टीका नहीं दिया जायेगा.
सुभाष हुए जेइ के शिकार
चांदन के फुल्लेश्वर सिंह के पुत्र सुभाष कुमार इस रोग के शिकार हो चुके हैं.
इनका लंबा उपचार पीएमसीएच में चल रहा है. अब कोई इस रोग का शिकार न हो इसके लिए टीका अभियान चलाया गया है. देश में जेइ के कारण 30 प्रतिशत लोग काल के गाल में समा गये हैं.
बच्चों को लगेंगे टीके
कुल 29 प्रतिशत 6.17 लाख 271 बच्चो को टीके लगाये जाने का लक्ष्य रखा गया है. पांच लोगों की टीम बनायी गयी है. टीम को सुपरवाइजर सहयोग करेगा.