बांका : बांका में दर्जन भर से अधिक नदियां हैं. तालाब भी हैं. इसके बावजूद जल संकट गहराता जा रहा है. कई इलाकों के लोग नदी में चूहाड़ी खोद कर प्यास बुझाने को विवश हैं. ग्रामीणों के मुताबिक, एक ही तालाब से गांववाले और जानवर सभी पानी पीते हैं. इससे कई बीमारियां भी हो जाती हैं.
जानकारी के मुताबिक, चंदवारी गांव के लोग एक ही तालाब से पानी पीते हैं. इसी पानी का उपयोग अन्य दैनिक कामों के लिए भी करते हैं. इस संबंध में गांव निवासी सरजू पुझार कहते हैं, 'पशु और मनुष्य एक ही गंदा पानी पीते हैं. इससे जलजनित बीमारियां हो जाती हैं. करीब चार-पांच लोगों की मौत भी हो गयी है. यहां से अस्पताल भी पांच किमी दूर है.'
मालूम हो कि हमारे देश में उपलब्ध पानी का करीब 70 फीसदी हिस्सा दूषित है.नीति आयोग ने एक रिपोर्ट में आगाह किया था कि वर्ष 2020 तक पानी की मांग उपलब्धता से दोगुनी हो जायेगी. देश में जलसंकट से साठ करोड़ लोग सीधे प्रभावित हैं. एक दशक के बाद इस समस्या से सकल घरेलू उत्पादन में छह फीसदी की कमी आ सकती है. संकेत साफ हैं. इसके समाधान के उपायों पर तुरंत ध्यान देना होगा.