बौंसी : करीब 50 लाख की लागत से बना बौंसी का बीएसएनएल भवन इन दिनों सफेद हाथी साबित हो रहा है. पिछले तीन दिनों से यहां के बीएसएनएल मोबाइल व ब्रॉडबैंड सेवा पूरी तरह से ठप हो गयी है. जिससे उपभोक्ता को काफी परेशानी हो रही है. भारत संचार निगम लिमिटेड द्वारा इसका निर्माण कार्य एक अप्रैल 2001 को प्रारंभ किया गया था.
31 मार्च 2002 को कार्य पूर्ण होने के बाद इसे विभाग के हवाले कर दिया गया. निर्माण पूर्ण होने के बाद बिहार दुरसंचार परिमंडल पटना के द्वारा सबसे पहले यहां से डब्ल्यूएलएल सेवा आरंभ हुई. प्रखंड क्षेत्र में बीएसएनएल के लैंड लाइन के लिए उपभोक्ताओं की भीड़ लगनी शुरू हो गयी. उस वक्त तकरीबन 1 हजार लोगों ने यहां से कनेक्शन लिये. प्रारंभ के 5 सालों तक सबकुछ ठीक-ठाक रहा. लेकिन इसके बाद धीरे-धीरे अन्य प्राइवेट कंपनियों के टावर बौंसी में लगने के साथ ही उपभोक्ताओं का बीएसएनएल से मोह भंग हो गया. लोग धीरे-धीरे अपना कनेक्शन कटवाना शुरू कर दिये. वर्तमान में करीब 20 कनेक्शन ही इस एक्सचेंज से है.
उसमें भी बीएसएनएल की स्थिति ऐसी है कि माह में दस दिन खराब ही रहती है. यहां पर कार्यरत आरएम अमानत हुसैन ने बताया कि यहां पर लगा जेनरेटर करीब 5 लीटर डीजल प्रतिघंटा के हिसाब से खपत होता है. बैटरी की हालत खराब रहने के कारण चार्ज भी नहीं हो पाता है. 13 वर्ष पूर्व बना भवन भी जर्जर के कगार पर पहुंच चुकी है. जिस कमरे में कर्मी रहते हैं वह भी इन दिनों हल्की सी बारिश में रिसाव होने लगा है. मालूम हो कि बौंसी में बीएसएनएल कार्यालय में दो कर्मी कार्यरत हैं. इतने कम लैंडलाइन कनेक्शन से प्रतीत होता है कि इन कर्मियों का वेतन भी यहां से नहीं निकल पाता होगा. भारत की इस सर्वश्रेष्ठ दूरसंचार सेवा को पुन: व्यवस्थित और दुरुस्त करने की जरूरत है ताकि अधिक संख्या में उपभोक्ता इस सेवा से जुड़कर लाभ ले सके.